खबर :- इटली में एक आदमी ने प्रधानमंत्री को पीटा
नज़र :- बताओ यार ! एक हम हैं खामख्वाह का हल्ला मचाते रहते हैं कि लोकतंत्र मजबूत है हमारा । बाहर वाले कभी प्रधानमंत्री पीट मारते हैं तो कभी राष्ट्रपति को जूता ठोंक देते हैं । हम बस वोट वोट खेल कर ही रह जाते हैं । कायदे से होना तो ये चाहिए कि हमें भी समय समय पर कम से कम एक आध छोटे मोटे एम एल ए , एम पी तो पीटते ही रहने चाहिए । देखिए इसके भी दो वाजिब कारण तो हैं ही हमारे पास । एक तो ये कि हमारे वाले मंत्री नेता , इटली अमरीका वालों से कहीं ज्यादा डिसर्व करते हैं ये पीटमपीट अवार्ड । दूसरा ये कि हम मारे न मारे, वे बेचारे खुद तो एक दूसरे के सेवा करते ही रहते हैं जब तब । तो ऐसे में आपको ये नहीं लगता कि हमें भी पूरी दुनिया को दिखा देना चाहिए कि लोकतंत्र में हमारा विश्वास सिर्फ़ थ्योरिटकली ही नहीं है ....तो बंधुओं आईये हम ये शपथ लें कि मौका मिलते ही ................हां .....पक्का पक्का ॥
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खबर :- हिंदुस्तान में तालिबान
नज़र :- ओह ! हाय ! आखिरकार अब जाके ये सपना सच हुआ । चलो देर आयद दुरुस्त आयद । तालिबानी भी आखिरकार आ ही गए । चलिए अब उनके लिए हम नई झुग्ग्यों का निर्माण करें ताकि उसमें रहने के बाद थोडे दिन में उनके नए वोटर कार्ड बनवा दिए जाएं और फ़िर वे भी हमारे बांग्लादेशी मेहमानों की तरह यहां के पक्के , हमसे भी पक्के , नागरिक हो जाएं । यार कम से कम तब जब वे किसी बम विस्फ़ोट में पकडे जाएंगे तो .......कसाब वाला स्पेशल ट्रीटमेंट तो नहीं मिलेगा न । वैसे कुछ पता चला कि आए क्या करने हैं .....। ....क्या कह रहे हो सच्ची .....लो कल्लो बात सुना ..कह रहे हैं आजकल भारत में सबको औन डिमांड राज्य मिल रहा है तो ..उन्होंने सोचा लगे हाथ अपने लिए भी एक छोटा मोटा तालिबान मांग ही लें । ये तो यार नेक ख्याल है ...दे दो भाई दे दो ॥
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खबर :- दिल्ली में सडक पर पैग पीना पडेगा पांच हजार का
नज़र :- अच्छा , यार ये फ़ैसिलिटी नई शुरू की है क्या ...?मगर सुना है सडक पर रिक्शे /ठेली/ रेहडी वाले बेचारे गरीब अद्धा/पव्वा मार के लोट मारते हैं उनसे भैया ....पांच हजार तो दूर ...पांच रुपये भी निकल आए न तो समझना ...लौटरी निकल आई तुम्हारी । अबे भले लोगों जुर्माना भी लगाया तो कितना पांच हजार और लगाया भी तो किस पर सडक वालों पे । यार तुम्हारी अक्ल पे न तरस आता है बस । सुनो हमारी मानो तो जुर्माना लगाओ पचास हजार और किन पे ...क्यों मजाक करते हो .....अब सफ़ेद कोठियों और फ़ार्म हाऊसों का नाम भी क्या मुझी से बुलवाओगे ..। देखो भैय्या फ़ायदा ही फ़ायदा है इसमें ..मानो या न मानो ॥
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खबर :- महंगाई ने बढाई केंद्र की परेशानी
नज़र :- क्यों भाई ! केंद्र की भी कोई लुगाई है का ...? ऊ का भी कौनो किचन है का ....? अबे केंद्र को कौन सा टमाटर, प्याज, आलू खरीदना पडता है॥ अरे छोडो छोडो काहे की चिंता जी .....उ को कौन अपने मेहमान को चाय पिलानी पडती है कि चीनी का भाव पता चलेगा ॥ और ई कईसे संभव है कि केंद्र महंगाई भी खुदे बढाए......और ऊके बढने पर उ की परेशानी भी बढ जाए....। फ़िर कुअन अभी इलेक्शन होने जा रहा है जी .....तो काहे टेंशनियाते हैं जी ......आप तो बस जय हो ...जय हो गाईये......एक दम टैण टैणेन ....की धुन में
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खबर :- मुफ़्त होगा गरीबों का इलाज
नज़र :- क्या कहा ....फ़िर से कहना ! यार अभी अभी तो कहा है कि चुनाव का मौसम अभी नहीं आया है तो फ़िर ये चुनावी वादों टाईप की घोषणा काहे भाई । धीरे बोलो यार !कहीं ऐसा न हो ई खबर सुन के कौनो गरीब बीमार मारे खुशी के ही चल बसे । मुफ़्त होगा गरीबों का ईलाज । बताओ यार ये तो कुल मिला के ही एक्सक्लुसिव खबर है ।गरीब का इलाज होगा ...यही क्या कम बडी खबर है .....मुफ़्त होगा ..ये सोने पे सुहागा मगर सच कहूं तो बस यहीं से यार तुम लोगों की इंटेशन पर शक होना शुरू हो जाता है । इलाज होगा तक तो ठीक है ..क्योंकि कई बार ईनाम विनाम और धर्म कर्म के चक्कर में तो कई बार मुफ़्त या कम दामों पर सरकारी जमीन झटकने के चक्कर में आप लोग कर लेते हो गरीब का भी इलाज ....मगर मुफ़्त ....चलो देखते हैं ...का होता है ।
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खबर :- आखिर कितने दिन तक लटकेगा सेतु समुद्रम मामला :सुप्रीम कोर्ट
नज़र :- लिजीये अभी तो झूला डला ही है अभी तो देखते जाईये कितना लटकता है । अजी सर इत्ते प्यार से इत्ता लंबा रस्सा डाला है तो लटकेगा ही न । अभी तो इसी के सहारे कुछ दिन चलेगी दुकान । देखिए न राम जन्मभूमि वाला चैप्टर भी ठंडा सा हो गया । इतने सालों बाद आयोग की रपट भी आई तो ...उसमें भी कुछ ऐसा हाथ नहीं लगा कि अगले चुनाव की नैय्या उसी के सहारे पार हो पाती । अब गोधरा शोधरा भी रोज रोज कहां होता है । फ़िर ले दे के यही तो बचा है ..लटकाने और लटकने वाला मुद्दा । फ़िर सर पुल का मामला है तो थोडा बहुत लटकेगा ही न । आप टेंशन न ल्यो सब आपे ठीक हो जाएगा जी ..मी लार्ड ॥
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खबर :- सात दिन में आसाराम बापू आश्रम को खाली करनी होगी सरकारी जमीन
नज़र :- अरे क्यों भाई , ऐसा क्या हो गया । यार इस देश में तो संतों का तो किसी को ध्यान ही नहीं है । बताओ भला कित्ती टाईप टाईप की सेवा की इत्ते दिनों से । प्रवचन तो प्रवचन , शैम्पू ,तेल, अगरबत्ती जैसे हर्बल प्रोडक्ट तक बेचे अपने स्पेशल सेल स्कीम द्वारा जन कल्याण हेतु । फ़िर आश्रम मे वो स्पेशल वाली भक्ति अलग ..और उसका ये सिला मिला । एक तो पकड लिया , बदनाम हुए सो अलग अब रही सही कसर भी पूरी कर दी जमीन से बेदखल करके । बाबा ओ बाबा ...अरे रामदेव जी से मुखातिब हैं यार ....आपही कुछ करो ..यार अमरीका वाले आश्रम में ..पार्टनरशिप हो जाए क्या
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मंगलवार, 15 दिसंबर 2009
इटली में एक आदमी ने प्रधानमंत्री को पीटा ,बताओ लोकतंत्र हमारा मजबूत है , कैसे जी
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बेहतरीन विश्लेषण। बधाई।
जवाब देंहटाएंप्रमोद ताम्बट
भोपाल
www.vyangya.blog.co.in
www.vyangyalok.blogspot.com
इटली वालों ने दूसरे ज़रूरत मंद देशों को एक रास्ता दिखाया है अब लोग माने या न माने..और अंतिम खबरा पर मैं बस यही कहना चाहूँगा की बाबा जी ज़मीन खाली ही कर दे तो अच्छा होगा वैसे भी एक ज़मीन खाली कर देने से उनके प्रॉपर्टी पर कोई ज़्यादा असर नही पड़ने वाला है..बढ़िया खबरा धन्यवाद अजय जी
जवाब देंहटाएंइटली में एक आदमी ने प्रधानमंत्री को पीटा क्या ईरादा है? महाराज
जवाब देंहटाएंबहुत सही विश्लेषण....
जवाब देंहटाएंअच्छी मौज ली है आपने सबकी.. :)
जवाब देंहटाएंबस, मौका हाथ आने दिजिये...:) पक्का पक्का!!
जवाब देंहटाएंसभी व्यंग्य एक से बढकर एक...
जवाब देंहटाएंखबरो की अच्छी खबर ली है जनाब आपने.....बहुत बढिया विश्लेषण। बधाई।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर! खबरों की ऐसी समीक्षा की जरूरत है।
जवाब देंहटाएंबढ़िया पोस्टमार्टम है...
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ भी इंदिरा जी की नाक तोड़ चुके हैं लोग और उसका भुगतान आज भी कर रहे हैं जितना नेता को खतरा बढ़ता है उतना वह जनता से दूतर होता जाता है
जवाब देंहटाएंसिद्धू जी की स्टाईल में कहे देते हैं..." वाह गुरू! आज तो छा गये" :)
जवाब देंहटाएंहा हा, मज़ेदार
जवाब देंहटाएंडंडा परेड सा लग रहा :-)
बी एस पाबला
खबर ... ! ...! ...!
जवाब देंहटाएंपढ़कर राहत मिली।
इटली वालों को यह सुविधा इसलिये दी गई है, क्योंकि उधर जनसंख्या कम है, भारत में लोग सिर्फ़ नाक तोड़ कर चैन से नहीं बैठेंगे ना।
जवाब देंहटाएंनोट - हमारे यहाँ "इटली" का सिर्फ़ नकारात्मक प्रभाव ही स्वीकार किया गया है :) त्याग के रूप में… :)
लत्तम पैजात की कसर हमारे यहाँ ये खुद संसद ,विधानसभा में आपस में ही पूरा कर लेते है !
जवाब देंहटाएंजनता की बारी ही नहीं आने देते !
भाई जी मनमोहन पिट जायेगें तो हमारा लोकतंत्र मजबूत हो जायेगा ?, अगर ऐसा हो तो मनमोहन जी को पिटी पिटौव्वल खेलने के लिये बुला लेते है
जवाब देंहटाएंयार प्रमेन्द्र भाई मैंने कब मनमोहन जी का नाम लिया ...आपने लगता है जल्दी में पढ के टीप मार दी ..हम तो बांकी जन प्रतिनिधियों की कर सेवा करने की बात कर रहे थे । यार , व्यंग्य में तो कम शक्ति लगा दिया करो ..यहां भी महा टाईप शक्ति लगा दी आपने ....हा हा हा ॥
जवाब देंहटाएंक्या जोरदार विश्लेषण है ...मजा आ गया
जवाब देंहटाएं" केंद्र की भी कोई लुगाई है का ...? ऊ का भी कौनो किचन है का ....? अबे केंद्र को कौन सा टमाटर, प्याज, आलू खरीदना पडता है॥ "
जवाब देंहटाएंहां जी, किचन तो होना ही है... वर्ना अफ़ज़ल गुरु और कसाब भूखे न रह जाये :)
बहुत काम की खबरें हैं धन्यवाद
जवाब देंहटाएंKhabron ki achchi khabar lete hain aap !
जवाब देंहटाएंbahut khub acchi racna
जवाब देंहटाएंbahut -2 abhar