बुधवार, 29 अगस्त 2012

आगे आगे देखिए "कोयले " पर मुशायरा-कव्वाली होगी






कुछ कुछ , अब समझ में आ रहा है क्यूं है अपने देश का ऐसा रे ये हाल ,
सवा अरब जनसंख्या एक बाबा एक अन्ना एक किरण और एक ही केजरीवाल ,


सोचिए कि दस बीस , पचास ,सौ ,हज़ार और हो जाएं जो लाख ,
घेर घेर के अईसा कूटें , मु्ट्ठी भर माननीय , मिनटों में हो जाएं खाक :)


अभी कितने दिन होंगे और काले ,इस कोयले से, जाने कितनी रातें काली होंगी
अमां अभी तो शेर पढा है बस आगे देखिए कोयले पर मुशायरा -कव्वाली होगी ,
इरशाद इरशाद ..नहीं हुज़ूर ..बर्बाद बर्बाद कहिए


हज़ारों सवालों से अच्छी है मेरी खामोशी , न जाने कितने सवालों की आबरू रखी,
अमां छोडो ये शायरी ,बस ये बताओ , किसने कित्ती ये काली काली मलाई चखी


पिछले दिनों तुमने पानी के न होने मिलने ,का शोर खूब था मचाया ,
अब जब बरस रही है अमृत की बूंदें , तो बताओ कितना पानी बचाया,


देख बहस जोरदार , चुप्पे से किहिस ईशारा , पिरधान जी को इटली की चच्ची,
फ़ौरन डकार मार के बोले पिरधान , हटो बे , इत्ते जवाबों से तो खामोशी अच्छी ,
हाय सच्ची मुच्ची , इक लुच्चा इक लुच्ची :)


रगड के कोयला मुंह पर सियासत के नुमाइंदे अपनी अपनी झोली भर रहे हैं ,
अजब तमाशा देखो रे भाई ,घोटालों के जवाब में प्रधान जी शायरी कर रहे हैं,
इत्ता ध्यान इकोनोमिक्स में लगाया जो होता तो यूं शायरी गज़ल की नौबत ही न आती जी


अमां अभी अभी ये खबर पढी , क्या आपने भी ऐसा कुछ सुना ,
महाराष्ट्र में , महिलाओं ने मंतरीजी को चप्पल जूतों से धुना ,,
हुन हुन हुना रे हुन हुन हुना :) :) :)


मनमोहन सिंह का शेर(गीदड) :हज़ारों जवाब से अच्छी है मेरी खामोशी ,
अमां तो गोया फ़िर ये भी बतला दो , ये ईमानदारी है या तुम्हारी बेहोशी,
इत्ता बडका इंजेक्शन काहे भोंकवा लिए ईथर का , कि संसद में अब शेर बकरी पढना पड रहा है हो पिरधान जी


दिल्ली का इक अखबार है , जिसका नाम लोग रखे हैं " नेशनल दुनिया "
खबर देख के ही कोई भी भांप जाए , बजावे रोजिन्ना सरकार का हरमुनिया,
ई सब अखबार को भी दरबार बना दिया है सरबा सब , एक्के सुर , एक्के राग ....चापलूसी वाला धरईले रहता है ..अबे धत बे ।


बोले हैं पवन बंसल : संसद में बहस से भाजपा रही है डर,
चाब्बास , अबे कोई भी डरेगा शूरवीरों , तुमने कांड दिया है ऐसा कर ,
अपना घर को लिया रे भर , कोयले से मुंह को काला कर


विमान खरीद सौदा जल्द से जल्द पूरा करना चाहती है सरकार ,
हां बे ,कमीशन होगा मोटा सोटा ,खाने को , सब होंगे न तैयार ,
खरीदो खरीदो , फ़िर बताना कि कितना घपला घोटाला हुआ है :)


ज़रदारी चाहते हैं मनमोहन इसी साल उनके यहां इस्लामाबाद आएं ,
इसी साल ,अबे इसी महीने इसी पल , यहां तो फ़ालतू हैं , जब चाहे ले जाएं,
आ वहीं रखें , अपनी अर्थव्यवस्था का पोस्टमार्टम भी करवाएं , काहे से कि मर तो ऊ कबकी गई है ।


सियासत वालों लगा दो बंदिशें ,पाबंदियां, उन सब पर जो भी तुम्हारे बस में है ,
पर सोच पर कैसे जडोगे ताले ,रोक लो ,उस बगावत को जो हमारे नस नस में है


रेल में मिलेगा लज़ीज़ खाना , रेलमंत्री ने महाप्रबंधकों को बैठक में दिया निर्देश ,
आ नहीं मिले जो अईसा खाना तो इहे मंतरी जी के मुंह में माचिस दीजीएगा लेस
धधरा मार के फ़ुंक जाएं जिससे , लजीज़ खाना परोसने वाले


घिरी हरियाणा सरकार , विधानसभा में हुआ कांडा पर हंगामा ,
अबे पकड के काट लो , और बंद करो परमानेंटली ई डिरामा ,
काट लो माने कंडवा का मूडी काट लो ...आप भी उहे समझे न :) :)


कांग्रेस ने विपक्ष को दे दी चुनौती , तो फ़िर ले कर आएं अविश्वास प्रस्ताव ,
अबे भागो बे , घबराए बैठे हो , सिर्फ़ मुठ्ठी भर लोगों ने जो कर दिया घेराव ,
सोच लो क्या होगा जो सचमुच ही अवाम ने भर के हुंकार दिखाया अपना ताव,
ये समंदर का तूफ़ान है प्यारी , कैसे अब बचेगी तुम्हारी छेदों से भरी नाव ..
बरसों तक तुम देते रहे जो घाव , अब बहुत पडने वाली है बेभाव


संसद को कर परमानेंटली टर्मिनेट , आ सांसदों को फ़ौरन ही कर दो रे सस्पेंड,
साठ साल की बुढिया , थकेली , पकेली सी , हा लोकतंत्रवा हो गया सेकेंड हैंड,
ऊ होता है न तेरी ऐंड जबानी , तेरी बैंड जबानी , आ सकेंड हैंड जबानी टाईप से


प्रधान मंत्री के इस्तीफ़े तक भाजपा रखेगी संसद को पूरी तरह से ठप्प ,
अबे जब चलती रहती है तभिए कौन तीर मारती है , अबे हप्प हप्प हप्प ,


अरविंद केजरीवाल को नहीं मिली पीएम आवास के घेराव की इज़ाज़त ,
अबे दफ़ा करो , बुलंद रहो , बगावत की परमीसन कब देती है सियासत,
तेल लेने गई इजाजत , तुम करते रहो बगावत


बारिश की एक धार ने फ़िर थाम दी दिल्ली की रफ़्तार ,
धत! न हो तो मारते हो चित्कार आ दुई बूंद की बरखा से मच जाता हाहाकार,
अबे ई तुम्हरा सिस्टम है बेकार , पडने दो जितनी पडती है बौछार


प्रोन्नति में कोटे का प्रस्ताव गलत :अटॉर्नी जनरल से सरकार को चेताया ,
ई तो पता है सबको ,मंडल जी का कमंडल कौन फ़ोडे , सब है वोट बैंक की माया ,
काहे बार बार दोहराते हो यही बात रे भाया , नहीं जाएगा हटाया


हमें खामोश बैठे देख , गलती से , सियासत तुम ये न समझ बैठो ,
है जो हिम्मत तो डाल आंखों में हमारी आंखें , कभी हमसे उलझ बैठो,


सियासत मगरूर हो कितनी , हमें बंदिशों का डर नहीं लगता ,
कि किसी के जीने मरने से कभी भी कोई सच मर नहीं सकता,


फ़िर एक बार ,कोयले की काली पडी छाया , संसद धधकने लगी है ,
फ़ुंक जाने दो ,अस्थियां प्रवाहित करने को , जनता की बाहें फ़डकने लगी हैं :)
धधक जाने दो जी , हम लोग तो कब से एक एक बोतल पेटरोल का अनुदान करने को तैयार बईठल हैं जी


बेनतीजा रही बैठक , आरक्षण पर मुलायम हो गए कठोर ,
अबे पचास साल से एक्के सिनेमा बे , आरक्षण से हो गए रे बोर ,


संसद ठप, प्रधानमंत्री राज़ी , विपक्ष अडा , मचा कोयले पर कोहराम ,
बाह बेट्टा , हर बार कोई बहाने से काम के समय मार लेते हो आराम ,


भारी शोरगुल के बीच ,कैग पर गूंज उठी फ़िर से संसद की दीवारें ,
अमां जनता की तो बस एक है इच्छा , माननीय, फ़ौरन नर्क सिधारें ,
या कहें तो एक बार जनता के बीच पधारें , सब सोच के हैं बैठे , आओ बेटा ,ईलाज भी न हो सकेगा , बकि ऐसी जगह पे मारें :) :)


इकोनोमिक्स का पिरधान जी और उनकी मंडली ,कर के छोडेंगे देश को बर्बाद
महंगाई बढने से सबको फ़ायदा होता है , बक रहे हैं मंतरी ,बेनी जी परसाद,
लगता है इनको बुद्धि का परसाद नय मिल पाया , तभिए अकबकाए से हुए हैं


जब जब सियासत के उतरते हैं कपडे और कुछ सफ़ेदपोश नंगे होते हैं ,
अक्सर उस आग का रुख मोड देते हैं , तब सुना है ,शहर में दंगे होते हैं


सियासत तु्झपे , तेरी हरकतों सा ऐतबार है , तेरे इरादे कुटिल लगते हैं,
नियम कायदे और कानून हमीं पर लागू , और हमीं को जटिल लगते हैं ,

खबर है कि रुपए ,30000000000000/-मात्र, सरकार ने हैं डुबोए ,
और हम यहां , हो रहा भारत निर्माण का रिकार्ड बजा बजा के सोए,
कसम है उसे जो अब भी सरकार का ...........धोए


जो करतूतों के लिए किया जाए केस तुम पर , बिक जाएगा घर का बर्तन भांडा ,
साले यही एक कसर बची थी , अब कर रहे हो पूरी , बनके तिवारी और कांडा ,
कसम बना के हीरो हांडा , तुमको इतना मारें डांडा ......कि टूट जाए तुम्हारा ....जो लीजीए जो फ़िट होता हो


असम में फ़ैली हिंसा और अफ़वाह को थामने के लिए केंद्र ने लगाया जोर ,
नहीं हमें शक नहीं पूरा यकीन है कि सियासत कह रही होगी , वन्स मोर ,वन्स मोर
अबे फ़ितरत से वाकिफ़ हैं न हम तुम्हारे सत्ता वालों


अमां सुना है इस शहर की हालत इतनी खस्ता है , बस यूं हो रही तबाह ,
साला ,सैकडों बेकसूरों को लील जा रही है अब भी , बस एक निरी अफ़वाह,
वाह रे दुनिया वाह , खुद ही खुद को कहला रही , आह !!!!


राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने किया अन्ना और बाबा पर प्रहार,
"पति" पगलेट होते थे कभी पत्नियों के , अब तो राष्ट्र के भी मेंटल मिले हैं यार ,
झेलिए हो इनका भी ..गंडोगोल कोथा ...दादा की बोलतेन आपनी


सोचिए कि यूं आजकल लोग फ़ाकाकाशी का किस तरह अब फ़िकरा नहीं करते ,
कुछ तो बात है , यूं बात बात पर , शहरों के लोग सडक पर उतरा नहीं करते ...
वो भी अपनी दिहाडी छोडछाड कर ..ये जिगरे की बात है , हर किसी के बस की नहीं

4 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छी खबर, कृपया जीरो लगा कर बात ना बढाएं :):)

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  2. बहुत खूब अजय जी ,कोयले की खान से एक से बढ़कर एक हीरे आपने खनन किये हैं ,सभी खूब चमक रहे हैं.शानदार प्रस्तुति .

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  3. वर्ष के बेस्ट खबरी का सम्मान ऐसे ही थोड़े ही न मिला है आपको ... हर खबर ... हर पोस्ट पर रखते है नज़र ... जय हो अजय भाई आपकी ... जय हो !

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हमने तो खबर ले ली ..अब आपने जो नज़र डाली है..उसकी भी तो खबर किजीये हमें...