खबर:- भावनाओं में बह कर निशानेबाजी छोडने का फ़ैसला नहीं लेंगे अभिनव बिंद्रा
नज़र :- और ल्यो. ....इहां लोगबाग ई सोच के हलकान (यार इस हलकान शब्द का बडा ही ऐतिहासिक टाईप का महत्व हो गया है हिंदी ब्लोग्गिंग में )हुए जा रहे हैं कि हम ब्लोग्गर बात/बेबात टंकी पे चढ जाते हैं , फ़िर सबके घुडकने से टंकी से उतर आते हैं ।इहां तो ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट निशानेबाज खुदे सबके निशाने पर चढने के बाद टंकी पर चढ के एलान कर दिए कि जाओ , अब नहीं लगाएंगे हम निशाना , तुमही लोग लगाओ , और मच गया हडकंप । अब उनकी ऐसोसियशन ,( अजी अपने जैसा प्रेम थोडी है कि टीप और पोस्ट लिख लिख के उसकी सीढी बना के ब्लोग्गर को टंकी से उतारा जाता है , )भागती फ़िर रही है कि कौन सी लिफ़्ट लगाई जाए कि अभिनव बिंद्रा नीचे उतर आएं । वैसे सुना है कि इसके बाद अभिनव बिंद्रा ने भी कह दिया है कि वे भावनाओं में नहीं बहेंगे ।एक हम हैं बहना बहाना तो पता नहीं सीधा जंप मार के डूबिये जाते हैं । देखा हमें किसी ने कहा था , तुम्हें गोल्ड मेडल नहीं मिला तो क्या काम तुम्हरा भी उससे कम नहीं है .....अरे परफ़ोर्मेंस का नहीं यार टंकी पे चढने का भाई
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खबर :- यदि अब हुआ आतंकी हमला तो मुंह तोड जवाब देगा भारत :अमरीका ने कहा
नज़र :- अबकि सैम चचा बोले हैं ......वाह ई तो एक दम ईमोशनल अत्याचार टाईप हो गया जी । आखिर ऐसा एंगल चेंज कैसे हुआ जी ? एक तो यार यदि अबकि बार .....यदि अबकि बार ...बार बार ये डायलाग मत मारा करो , तुम लोग तो कुछ करते धरते नहीं हो । आतंकवादी इसे सीरयसली ले लेते हैं और फ़िर कुछ कर देते हैं कि लो अबकी बार भी कर दिया ..कर लो जो करना है । वैसे अबकि बार भारत मुंहतोड जवाब देगा ...ई का ...का मतलल है भाई । कौनो स्पेशल हथौडा दिए हो का गिफ़्ट में ओबामा जी ??? फ़िर आपको कैसे पता कि मुंह तोड ही देगा भारत । देखिए हमारी परंपरा तो आतंकवादियों के मुंह की चुम्मी लेने की रही है , हम आपकी तरह अशिष्ट लोग नहीं हैं कि बदला ले लें ..समझे कि नहीं ..सैमू चचा ॥
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खबर :- प्रधानमंत्री जल्द ही सुनेंगे राज्य के मुख्यमंत्रियों के गिले शिकवे
नज़र :- राम राम राम ! का जमाना आ गया है भाई , बताईये भला कहने को हम लोग प्रजातंत्र हैं और खबर देखिए , प्रधानमंत्री सुनेंगे गिला शिकवा......किसका ....मुख्यंत्री लोग का । अबे कभी जनता का भी नंबर आएगा ....। तुम प्रधानंत्री , मुख्यमंत्री , मेन मंत्री ,साईड मंत्री लोग ही आपस में एक दूसरे के गिले शिकवे कहते सुनते रहोगे तो काहे के लिए कहते फ़िरते हो प्रजातंत्र ...इसे नेता तंत्र क्यों नहीं कहते ? और क्या कह रहे हो , तुम्हारे गिले शिकवे ....अबे अभी भी गिले शिकवे । अबे और कित्ती फ़ैसिलिटी चाहिए तुम्हें , इत्ते नवाबी ठाट बाट , जितने मर्ज़ी अपराध करो , सात खून भी माफ़ , सारे खानदान को नौकरी चाकरी , और अपने अपने हिसाब से घोटाले घपले करने की फ़ैसिलिटि अलग से .तब भी तुम्हारे गिले शिकवे खत्म नहीं हो रहे हैं । सुनिए जी मनमोहिए इन्हीं का आप ...हम तो प्रजा तंत्र हैं जी चलेगा ॥______________________________________________________________________________
खबर :- सहवाग ने बांग्लादेश को साधारण टेस्ट टीम बताया
नज़र :- टेस्ट टीम ....वो क्या होती है जी । हें हें हें अच्छा अच्छा आप वो त्रेता द्वापर युग के क्रिकेट की सहवाग ने ऐसा कहा , ये सहवाग को हमेशा से सच एकदम खुल्लमखुल्ला कहने की बीमारी रही है यार । वैसे इसमें इतना हाय तौबा मचाने वाली कौन सी बात है भाई , जिस अंदाज़ में सहवाग बल्लेबाजी करते हैं उस अंदाज में तो आस्ट्रेलिया भी साधारण टेस्ट टीम लगती है तो बांग्लादेश तो बांग्लादेश है । वैसे भी इतनी बार बार लगातार हारते जाने के हिसाब से तो वो हमें साधारण टीम नहीं लगती एक दम असाधारण टाईप परफ़ोर्मेंस है जी
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खबर :- आस्ट्रेलिया में नहीं थम रहे हमले
नज़र :- अच्छा , बताओ यार तुम लोग तो राज ठाकरे से भी गए गुजरे हो यार । अब तो सुना है कि वो भी तब तक बिहारियों पर हमले नहीं करेगा जब तक चुनाव न सामने हों । अबे उसे तो फ़िर भी पोलटिस करनी है भाई , मगर तुम कंगारू लोग काहे के लिए एतना बावले हो गये हो भाई । एक हमारी सरकार है ससुरी , कौनो क्रिकेटर के साथ कुछ हो जाए , कि खाली ऊ को कोई कुछ बोल भी दे तो पगलाए जाती है, मुदा अपने देश का बचवा सबके साथ ई सब हो रहा तो नामर्दी दिखा रही है । अरे एक ठो आस्ट्रेलियन को अपने इहां भी घसीटो-पीटो , सब अपने आपे ठीक हो जाएगा ।नहीं त भारत कैसे ई सब मामले में बहादुरी दिखाता है ई बात कौनो आस्ट्रेलिया से छुपी थोडे है ......._____________________________________________________________________________
खबर :- शाहदरा (दिल्ली) में सरेशाम १७ लाख की लूट
नज़र :- लो तो ई में खबर वाली कौन बात है । ई कि दिल्ली में लूट हुई, सत्रह लाख की हुई आ कि सरेशाम हुई ई । ई में से कौन बात अनोखी लगी जी , कि खबर बना दिए । अरे आज दिल्ली किसी बात में कम थोडे ही है जो लूट जैसी छोटी मोटी वारदातों के लिए रात का इंतज़ार करना पडे । वो भी कितनी रकम के लिए सिर्फ़ सत्रह लाख , अबे इत्ते में आजकल घर भी नहीं मिल रहा । सोचो ये तो है नहीं कि बेचारे लुटेरों ने अपना जीवन संवारने के लिए या फ़िल्मों टाईप कि इसके बाद लूट के पैसों से सारा जीवन अच्छा बन के गुजारेंगे , की भावना से किया होगा । वो तो यार शाम की बातो होगी , ठंड इतनी ज्यादा पड रही है तो जरूर उन्होंने दारू-मुर्गा, पार्टी शार्टी के लिए , बेचारों ने इतनी मेहनत की होगी । अब महंगाई को देखते हुए शाम की पार्टी के लिए इत्ती रकम तो जेनुइन है यार .....छोडो छोडो फ़ालतू की खबर को तूल दे दिया है
चलिए आज के समाचार समाप्त हुए