खबर : अयोध्या मामला जाएगा सुप्रीम कोर्ट : आडवाणी
नज़र :-जी बिल्कुल दुरुस्त फ़रमा रहे हैं लौह पुरूष .....जाना ही चाहिए ..वैसे भी जो मामला सुप्रीम कोर्ट न पहुंचे ...तो फ़िर काहे का मामला जी ..वैसे भी हमारी सुप्रीम कोर्ट खाली बैठी है न .....कोई काम ही नहीं है ...वे तो कह रहे हैं कि ....भेजो जी भेजो और मामले भेजो ..। मगर आडवाणी जी ....इस मामले को साठ बरस हो चुके हैं ....चलते चलते ...। देखिए आप लोग बार बार साठ बरस साठ बरस कह के ..मेरी और वाजपेयी जी की तरफ़ तीर क्यों चला रहे हैं ....जब हम पचहत्तर अस्सी तक चल रहे हैं तो फ़िर ये तो अभी साठा माने पाठा ही हुआ है ...। मगर क्या सुप्रीम कोर्ट जाने से मामला हल हो जाएगा .....। अरे मामला हल हो ...या मामला बैल हो .....बस चलते रहना चाहिए ....तभी तो इस मुद्दे पर अपनी खेती चलती रहेगी ......तो प्रेम से बोलिए ....जय श्री राम । _____________________________________________________________
खबर :-महंगाई चरम पर पहुंचने को तैयार ...
नज़र :- लो तो इसका मतलब अभी चरम पर नहीं है ...अबे तो क्या भरम पर है ...........इत्ती तो हो ही रही है ...तुम्हारा ये चरम वाला लैवल क्या है बे ...ये भी जरा खुल कर बता ही दो ........और जब वो ससुरी पहुंचने को तैयार ही है ...तो काहे का अल्टीमेटम ...दन्न से पहुंच जाने तो उसे .....हम तो तैयार हईये हैं ...जाने कब से ..युगों युगों से ....। हाय एक बार हमें भी चरम तो देखना ही है .....फ़िर चाहे उसके बाद ....एक ठंडी सांस के साथ .....हे राम ...निकल जाए .....और भले उसे अयोध्या मुद्दे से जोड कर सब देखें .....मगर अब तो चरम देखना ही है ......तो कब तक की उम्मीद है ...क्या कहा ...खेल चल रहा है ....खेल खतम पैसा हजम ॥ ______________________________________________________
खबर :- प्लास्टिक छोडें , थैला पकडें : शीला दीक्षित ......
नज़र :- जी इसे कहते हैं दूरदर्शी मुख्यमंत्री .........प्लास्टिक छोडें , थैला पकडें .....। और एक बार जैसे ही थैला पकडने की आदत पडी ..........हें हें हें ....कटोरा पकडने में कितनी देर लगेगी आम पब्लिक को ....वैसे भी शीला दीक्षित जी ने ...पिछले दिनों ...राष्ट्रमंडल खेलों के बहाने से इत्ते जोरदार आइडियाज़ लागू किए हैं और जिस तरह से उनका बजट जुटाया है , फ़िर अभी तो करोडों के गुब्बारे , कुर्सियों , पंखों , दरियों का किराया देना भी बांकी है । मेट्रो की जनता क्या इतनी भी समझदार नहीं है कि समझ सके कि , उन्हें सीधा कटोरा पकडने को कहने जैसा ...अनकलचर्ड काम .....कभी भी शीला नहीं कर सकतीं ....अरे ये कांग्रेस की परंपरा ही नहीं रही जी ............हां कटोरा आप प्लास्टिक का भी ले सकते हैं ...अरे यार उसमें कोई मना नहीं करेगा ....॥ __________________________________________________________
खबर :- अब हुई बारिश तो बह जाएंगे बांध ...
नज़र :- तो न हो बारिश ....मतलब अब बारिश भी तुम लोगों की बांध की ऊंचाई चौडाई , मजबूती कमजोरी ...का पूरा स्टेटस देख कर बारिश हो ...अब भैया ये तो वरूण देवता को पेजर पर मैसेज करना पडेगा कि ..देखो प्रभु ..ये आऊट औफ़ सिलेबस बारिश करवाने की आपको ऐसी क्या जरूरत आन पडी थी ...हम इंसान ,,,खासकर मैट्रो टोनियल इंसान लोग तो ये भूल भी चुके थे कि बारिश ऐसी भी हुआ करती थी कभी ....और अब तो देखो आप स्थिति बांध को बांधने खोलने और टूटने तक पहुंच चुकी है ....अब तो ..अच्छा बांकी की बात अलग से मेल करके बताऊं ...चलिए ठीक है ... _____________________________________________________
खबर :- राष्ट्रमंडल खेलों में होगी १२० फ़ीसदी सुरक्षा की गारंटी : गिल
नज़र :- वाह ! ये होता है कॉंफ़िडेंस ....देखा सौ फ़ीसदी नहीं पूरे एक सौ बीस फ़ीसदी .....वैसे गिल साहब आपको पक्का यकीन है कि आप ये बयान सोच समझ के दे रहे हैं कहीं ऐसा तो नहीं कि , बाद में आप गिल नहीं गिल्टी हों ....। क्या कहा ....अब सौ फ़ीसदी कहने पर कोई यकीन नहीं करता ....पिछली बार भी जैसे ही हमने सौ परसेंट कहा था ..ये कसाब की टीम ने सारा एनालिसिस खराब कर के रख दिया था ....इसलिए इस बार प्रतिशत बढा दिया गया है ...वैसे भी राष्ट्रमंडल खेलों के लिए सब कुछ बडा किया जा रहा है तो हमने कहा ये भी लो । जिसने हमारे सौ फ़ीसदी पर यकीन नहीं करना ...उसने ऊपर के बीस पर अपना टाईम खोटी थोडी करना है ....समझते नहीं हो आप _______________________________________________________
खबर :- राष्ट्रमंडल खेल और रामलीला होंगे साथ साथ
नज़र :- अच्छा , अच्छा ..दोनों का समय साथ साथ आ गया है इसलिए , क्या कहा नहीं ....मैं गलत समझ रहा हूं फ़िर । दरअसल कहने का मतलब ये है कि जब राष्ट्रमंडल खेल चल रहे होंगे तब सरकार जो कर रही होगी वो रामलीला से कम नहीं होगी ...। लंका दहन की तैयारी पूरी हो चुकी है बस ...थोडा सा फ़ेरबदल ये है कि ....दहन की जगह पर ..लंका डूबन की तैयारी की गई है .....। तो प्रेम से बोलो .....अरे छोडो यार ...मन करे तो बोलो ...न मन करे तो ...
रविवार, 19 सितंबर 2010
प्लास्टिक छोडें , थैला पकडें : शीला दीक्षित ......अरे थैला क्या ...सीधा कटोरा ही पकड ले पब्लिक अब तो
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maza kaa geya , haqeeqat padh ke.
जवाब देंहटाएंवकील साहब,
जवाब देंहटाएंपैनी नजर डाली आपने, मजेदार।
बिल्कुल मन कर रहा है कि - खबरों की खबर या खबरों पर नजर जबरदस्त है।
जवाब देंहटाएंप्रणाम
`सीधा कटोरा पकडने को कहने जैसा .'
जवाब देंहटाएंकटोरे के भी पैसे लगते हैं भैया :)
रोचक खबरे और उन से रोचक आपकी टिप्पणियां...बेहतरीन...
जवाब देंहटाएंनीरज
जो जनता ऐसी सरकार चुन ले,जिसे स्वयं के भी चुने जाने का भरोसा न रहा हो,वैसी जनता को भुगतने के लिए तैयार रहना चाहिए।
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