खबर :- पाकिस्तान बना अंतरराष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी का अध्यक्षनज़र :- जे बात ......ससुरे चोर को ही चौकीदार बना दिए हो ..अंकल सैम ...तुम्हरी बुद्धि का तो ....एक दम मकबूल फ़िदा हुसैन हो गया है यार ...कमाल करते हो ...इन्हें जब पहले से ही कुछ थोडा बहुत माल जो तुमने सप्लाई किया था ..किया तो यही सोच कर होगा कि ..शायद एकाध रिएक्टर बना लें ....मगर यो ससुरे निकले ...पक्के बिजिनेस वाले ...उनके वैज्ञानिक ने पहले ही ..रेहडी खोमचे लगा कर ...शनि मंगल बजार वाले हाट में ..सब धर के बेच डाला ....जाने कौन भाव बेचा ये भी पता नहीं । अब तुमने ..इन्ने ही अध्यक्ष बना डाला ...यो ठीक किया ....अब आराम से पूरे संसार भर के परमाणुबम के लिए ये ससुरे ..अपने यहां एक मॉल खोल लेंगे ..और अमेरिका के सभी ..नंगे पुंगे दुश्मनों को .....दीवाली बोनांजा में बांट देंगे .....अब भईया अध्यक्ष महोदय जी जो करेंगे ...सो करेंगे , तो फ़िर अब डर काहे का ....ढिंचक ढिचक तुन्नक तुन्ना ...बोलो तारारा रमपम पम ........._______________________________________________________खबर :-विज्ञापन भारत का हाथी अफ़्रीका कानज़र :- अबे ! पहले ये बताओ ............इस बात से ऑब्जेक्शन किसे है बे ...जरा खुल के बताओ ....सुना है हाथी को तो .,,इंडियन मीडिया एक्सपोज़र .....मिलने से घणी खुशी हुई है ...। वे तो सुना है कि , खबर लीक करने वाले को ..पानी पी पी कर कोस रहे हैं ....उनका कहना है कि , अफ़्रीका में , तो उन्हें कोई घास नहीं डालता ..इससे ज्यादा ..इम्पोर्टेंस तो ......भारत में बकरी को ...और कुत्तों को मिल जाता है ....उन्होंने बताया कि ..अब जबकि common wealth games .में ....कुत्तों तक को वर्ल्ड मीडिया का एट्रेक्शन .......मिल रहा है तो ऐसे में , यदि लगे हाथों ....गलती से ही ....उन्हें थोडा बहुत एक्सपोज़र मिल गया तो इसमें तूफ़ान मचाने वाली कौन सी बात थी .....सुना है कि ..वे इस बात से इतनी बुरी तरह से ...नाराज़ हैं कि उन्होंने ..आईपीएल के आयोजकों तक अपनी बात पहुंचाने की ठान ली है ..ताकि अगली बार ..अपने देश में ट्वेंटी ट्वेंटी के आयोजन के समय वे इस बात का आधिकारिक विरोध दर्ज़ करेंगे ॥____________________________________________________खबर :- अभी भी पूरी तरह "रहने लायक " नहीं खेल गांवनज़र :- क्या बात कर रहे हो यार ! ..एक तो बार बार तुम लोग ...खेल ..और गांव...गांव और खेल ..बस इसी का ढोल /पीपा पीटते रहते हो .....अबे एक काम करो ..इससे बढिया तो ..तुम लोग अभी के अभी ..भारत के गांव चले चलो ...सब के सब ..मजे में रहने लायक हैं भईया ...। अबे क्या बताएं यार तुम लोगों को , वो तो यार पापी पेट का सवाल के कारण सब ....इन ईंट पत्थरों के जंगलों में भाग आए हैं ...और भटक रहे हैं खानाबदोशों की तरह ....वर्ना बेटा ..रहने लायक तो अब भी हमारे गांव ही हैं । और ये जो बने हैं न ..ये तो बेटा ...लाईफ़ लॉंग ...कुत्तों के लिए ही बनाया गया है ..देखा नहीं तभी वे पहले से ही ..पोजेशन लिए बैठे हैं ..। वैसे तो सुना है कि ...कुछ कमीने .......जो हमेशा से कुत्तों से भी गए गुजरे रहे हैं .,......और उनका भी हक मारते रहे हैं ...वे लगे हुए हैं इस ताक में कि ..कब ...शेरा का पेडा...बना कर सब खा जाएं ..और उसके बाद वे मजे मजे में सेटल हो जाएं ..। और कम से कम पिस्सुओं के रहने लायक तो ... खेल गांव है ही न .......__________________________________________________खबर :- अमेरिका में प्रतिबंधित दवा बिक रही है भारत मेंनज़र :- ये बात हुई न ..ये होती है बाजार की ताकत .....जो नहीं बिकने लायक है ..जिसे खरीदना मना हो ..वो भी धडाधड बिक जाए ..और ऐसी फ़ैसिलिटी ....सिर्फ़ और सिर्फ़ ...भारत के ग्लोबल मार्केट ही उपलब्ध करा सकते हैं आपको ...। देख रहे हो ..ओ मामा ....अबे ओबामे ..सुन रहा है कि नहीं ..यार एक तो हम तुम्हारा साला एक्स्पायरी डेट माल भी .....ओपनिंग डिलिवरी की तरह खपाए जा रहे हैं ..और सुना है कि तू बार बार ...वो क्या कहते हैं ...यार , बीपीओ ..सैक्टर ( एक तो यार सैक्टर के नाम पर ..हमे तो बस नोएडा के सैक्टर ..बारह तेरह , बीस बाईस ..चंडीगढ के भी इसी तरह से ,....यही पता है ..बांकी के सैक्टर अपने पल्ले नहीं पडते ...) को बंद करने की धमकी देता रहता है बे ..। अबे ओये ..हमने जिस दिन बेटा अपनी पटरी बाजार भी बंद कर दिया न सालों ..तो तुम्हारे यहां मंदी आ जाती है बे .....अबे समझ में आया कि बोलूं ...सन्नी पाजी की तरह ..गदर टाईप से .......बोलूं क्या ...ओएएएएएए...........______________________________________________खबर :- टिकट छापे १७ लाख , बिके सिर्फ़ ३.२ लाखनज़र :- क्या बकवास करते हो .....एक दम झूठ है ये सरासर झूठ .....सफ़ेद झूठ ..वही वाला सफ़ेद ( जो चौंक गए न .......वाले एड में दिखाई देता है ) , अबे दो हफ़्तों तक तो खुद हमें टिकट नहीं मिला था "दबंग "का ..फ़िर ऐसा ...। क्या कहा ..ये दबंग के टिकट के बात नहीं हो रही है ..ये तो common wealth games .के टिकटों की बात हो रही है ..। क्या बात कर रहे हो यार ...उन खेलों को देखने के लिए टिकट भी खरीदने बेचने का पिरोगराम बना डाला था क्या भाई लोगों ..। अमां ..खेलमाडी ..ओह सॉरी ..कलमाडी साहब ...यार पूरा ..शाईनिंग इंडिया ...ही लूट लेने का कार्यक्रम बना रखा था क्या ...। या कहीं ऐसा तो नहीं कि अपने ललित मोदी जी से कौनो शर्त लगाई हो ..कि भईया ..चलो रेस लगालो ...देखें कऊन केतना बडका हाथ मारता है ..लगे मारने आयं ..यही बात है क्या । अबे किसने कह दिया तुमसे कि ....इसके भी टिकिट छापो बे ....अबे यार जब इहां लोग जिस क्रिकेट के लिए पगलाए रहते हैं ...हा हा हा ससुरे ..उसका मजा भी ..पहले पास का जुगाड करके ही लेने की फ़िराक में रहते हैं ..तो अईसे में ..तुम लोगों का ई कूद फ़ांद का , ई रस्सा कस्सी, ई छुपन छुपाई ..और जाने कौन कौन के लिए टिकट खरीदेगा ..अबे सब स्टाफ़ चलाएंगे देखना ..। बेटा बांकी का टिकट तो रामलीला वाला लोग को बेच दो ..उहां तो फ़िर भी बिक जाएगा ...
गुरुवार, 30 सितंबर 2010
आईये खबरों को पढने का एक ठो नयका तरीका बताते हैं ...अरे आईये तो सही....अजय कुमार झा
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बहत ही सुंदर कविता....
जवाब देंहटाएंआपको कविता ....खासकर ये कविता पसंद आई ..मैं तो कृतार्थ हुआ ही , मुझे लगता है कि न सिर्फ़ इस पोस्ट को पढने वाले बल्कि भविष्य के सभी कवि भी मेरी इस कविता के कायल हो गए होंगे ....कहिए तो कविता कि इस विधा का पेटेंट करा लूं ...क्या कहते हैं ....महफ़ूज़ भाई ...हा हा हा
जवाब देंहटाएंओ मामा ....अबे ओबामे ..
जवाब देंहटाएंहा हा हा
महफूज़ अली ने कहा…
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर कविता....
मैं कहता हूँ
बहुत ही स्वादिष्ट कविता
:-)
ओह ससुरा का बोला है आपने.. बोले तो तन-बदन में मस्ती ही छा गईल है..
जवाब देंहटाएंमज्जा आ गया.. अइसन ही पोस्ट-शोष्ट करते रहे.. हम तो उका भी स्वादिष्ट मिठाई समझ कर गिटकाय लेंगे :)
अजय भाई महफूज ने तो कविता बताकर सच में कवित ही कर दी है। मतलब लयबद्ध रचना। सारी ही खबर पढ़ ली जी।
जवाब देंहटाएंये तो खबरों की खबर है .... मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएं‘ससुरे चोर को ही चौकीदार बना दिए हो’
जवाब देंहटाएंचोर के हाथ में चाबी देना ही सर्फ़ की खरीदारी की तरह समझदारी है :)
ढिंचक ढिचक तुन्नक तुन्ना ...बोलो तारारा रमपम पम .........हा हा हा :)
जवाब देंहटाएंमहफूज जोहरी है..क्या पकड़ है कविता पहचानने की..वैसे आजकल की कविता ऐसी ही होती है ज्यादा.
जवाब देंहटाएंJHHAKKASSSSSSS......
जवाब देंहटाएंJAI HO BHAIJEE
PRANAM.