उस दिन अचानक ही शाम को टीवी पर खूब जोर जोर से लोगों को चिल्लाते सुना , नज़र पड़ी तो देखा कि कुछ लोग हाथ में तख्तियां लिए हुए शोर मचा रहे हैं
शेर बाहर आ गया शेर बाहर आ गया
शेर बाहर आ गया शेर बाहर आ गया
हैरानी तो हुई मगर उतनी नहीं क्यूंकि आए दिन कहीं न कहीं तेंदुआ निकल आने और फिर उसके पकडे जाने की खबर तो टीवी पर आती ही है इस बार खुद राजा ने सोचा होगा हटो बे हम भी निकलेंगे सो वही निकल आया होगा लेकिन लोग बाग़ घबराने और और घबराते हुए वीडियो बनाने की जगह जुलुस जलसे की तैयारी में लगे हुए थे
तभी किसी पत्रकार ने वहां मौजूद किसी से पूछा
भैया ये शेर ही बाहर आया हैं न सच में
और क्या शेर है हमारा शेर , पूरे छ महीने बाद बाहर आया है
अच्छा अच्छा तो छह महीने बाद जंगल से शहर वो भी दिल्ली में क्यों बाहर आया कुछ पता चला
अबे पागल हो क्या , हमारा नेता जो तिहाड़ जेल में बंद था वो शेर है , वो अब जेल से बाहर आ गया है समझे
हैं ,
पत्रकार गिरते पड़ते बचा और फिर पूछा
अब ये शेर कहाँ जाएगा तिहाड़ जेल से निकल कर
शेर अपनी भाभी के चरण कमल में प्रणाम करने जाएगा भाई
शेर की भाभी भी हैं क्या
हां और क्या शेर के बड़े भाई साहब भी तो हैं वो बब्बर शेर हैं बब्बर शेर
तुमने मफलर लपेटे हुए नहीं देखा हमारे बब्बर शेर को
ओह अच्छा वो
हाँ वही वो ही तो हमारे और हमारी पार्टी के बब्बर शेर हैं
अच्छा अच्छा तो बब्बर शेर कहाँ हैं आजकल
वो तिहाड़ में हैं
जब वो बाहर आएंगे तब हम फिर से जुलुस जलसा करेंगे और चिल्लायेंगे
बब्बर शेर बाहर आ गया , हमारा बब्बर शेर बाहर आ गया