शनिवार, 22 जून 2013

रद्दी खबरें ...........................




अब तो जब भी बोलेगी , यूं ही अब तुनक कर ये धरती बोलेगी ,
रूह फ़ना हो जाएगी इंसान की ,जो इस कदर धरा ये मरती बोलेगी ..........
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कुछ तो खेल है नसीबों का , इंसान और धरती के इस कशमकश के रिश्तों में ,
इंसान भी कतरा कतरा सहे गम का धरती भी झेल रही महाप्रलय को किश्तों में
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जब रोज़ अब दस्तक देती है कयामत खुद अलग अलग शक्लों में ,
फ़िर तुमने कयामत की एक तारीख क्यों मुकर्रर की थी कभी
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वाह रे तरक्की तेरी इंसान मेरे , सुना है तेरे हौसले अब आसमान झुका रहे हैं ,
ये अलग बात है कि मैदानों के सुकून की बहुत बडी कीमत पहाड चुका रहे हैं
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हाय गांधी जी , अमां खुद देख लो ,
क्या क्या न कर करा गए लोकतंतर के वो तुम्हारे तीन बंदर ,
हादसों से जूझने का सबब भी सीख न पाया देस,
साठ बरस में ,हर बार बस एक हेल्प लाइन नंबर .
मिल भी जाए तो कयामत न मिले तो कयामत................
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गजब है गोरमिंट हमारी क्या कहिए , रिटायमेंट एट सिक्स्टी , अईसा कुछ था कल को बोला ,
कमाल देखिए खुद अपना मुनिस्टर पोस्ट के लिए चुनी है कुल 86 बरस के श्री शीश राम ओला

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ऐ सुनो बे हमारे तेवरों से किसी मुगालते में न रहना ,हम जनता हैं विशुद्ध जनता,
हम यूं तो बने बनाए जा रहे हैं बरसों से ,साला किसी से भी अपना कुछ नहीं बनता
हाय रे जुलुम ट्रेज्जेड्डी
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नेटवर्किंग पर बेस्ड , ये साले रिश्ते भी एकदम्म , सेलुलर हो गए ,
वो पेंडुलम की तरह डोलना जानते हैं , सुना है अबके सेकुलर हो गए
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नौटंकी-ए-इलेक्सन शुरू : जदयू ने भाजपा से १७ साल पुराना रिश्ता तोडा ,
चलो भईया चाचा भानुमत फ़िर जोडेंगे , कहीं का ईंट और कहीं का रोडा

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हमें खुद पे होने लगी है कोफ़्त इतनी , हाय! इतना साथ हमारे रहते हो ,
अबे हाकिम हो हकीम हमारे ,खुशी दर्द हम खुद झेलें , तुम दांत चियारे रहते हो
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साले ! दुई रुपैय्या लेते चपरासी आ बाबू धरा गया तो पूरा देस को घूसखोर घोसित कर देते हो आ ई महाजन लोग रोजिन्ना करोड अरब खरब आ पता नय केतना माल समेट लसेट रहा है त साला कोईयो हल्ला नहीं ,अपना गोल भवन में चिचिया चिचिया के सब माल आ सवाल गोल कर दे रहे हो बेट्टा , पिछला साठ बरस से साले इहे सिस्टम को रिफ़ाइन किए जा रहे बे
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नवीन जिंदल ने दी दो करोड पच्चीस लाख की घूस ,अईसा कह रही है सीबीआई तो इसमें बताने का कौन बात है बे ,जाकर पकडो फ़ौरन टेंटुआ, अंदर करो रे भाई
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वो जो मना रहे हैं जश्न किसी के टूटने , रूठने और डूबने से ,
वो हाथ फ़िर मजबूत हो रहे हैं ,जो बाज़ नहीं आते हैं लूटने से ..
दिस इज्ज द सच्चा लोकतंतर जी ...ओहो नॉट टुच्चा , लुच्चा भी नहीं ..इट इज़ सच्चा ...अरे सच्चा बोले तो टिरू जी
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हाय हाय उफ़्फ़ हट्ट हुर्रर्रर्रर्र , चहुंओर शोर शोर , मान गए मान गए ,
अबे रूठने पे हंगामा ,मानने पर भी , हमें लगा लो वो फ़िर पाकिस्तान गए
.

बीजेपी के कपडफ़ुट्टौवैल चिंतन शिविर के बाद कांग्रेस का भी होना मंगता है एक ठो , एजेंडा खाली इहे रहना चाहिए कि ..बस बहुत हुआ अब "हाथ" के जगह पर "हाथ की सफ़ाई" के नाम तले आगे राज किया जाएगा ..ई बकलोलहा लोकतंतर पे

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सिचुएसन तो बस समझिए कि गुड-गोबर है , गुड साला कब गोबर हो जाए कहा नहीं जा सकता और गोबर को तो ससुरा गुड समझ के चाटिए न रहे हैं अभी
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जय हो ! मन्नुआ आ चिद्दुआ मिल के घटोला में, रजवा को दिया लपेट ,
टोटल माल ऊ सब खाया ,आ चक्कू मार के फ़ोड दिया रज्जा जी का पेट ,
सो धरा गए , बुडबक कहींके , राजा नामे रखने से थोडिए न कुछ हो जाता है , इकनोमिक्स पढे होते त कुछ बात होती

2 टिप्‍पणियां:

  1.  सच्चाई को शब्दों में बखूबी उतारा है आपने . . .बेहतरीन अभिव्यक्ति .आभार गरजकर ऐसे आदिल ने ,हमें गुस्सा दिखाया है . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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