मंगलवार, 6 अक्तूबर 2009

दारू पीने वालों के लिये अच्छी और बुरी खबर ..

चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

खबर :- सार्वजनिक स्थल पर शराब पी तो पचास हज़ार जुर्माना

नज़र :- यार ये तो जुलम है जी...सरासर जुलम। ऊपर से ये भी नहीं बताया कि - ठर्रे, पव्वा, अद्धे ...के लिये जुर्माना राशि की रेंज़ अलग अलग होगी या एक जैसी। मगर इतना तो है कि सरकार ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि इस कानून को भी उतनी ही सख्ती से लागू किया जायेगा, जितनी सख्ती से धूम्रपान निषेध कानून को किया गया था। ..ओह ...यानि ..फ़िक्र को धुंए में उडाता चला गया या फ़िर फ़िक्र को अद्धे में डुबाता चला गया.......
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खबर :- गंगा में नहीं बहेगी गंदगी...

नज़र :- अरे ये चमत्कार कैसे जी। बरसों से चली आ रही परंपरा पर ये कैसा तुषारापात। अब गंगा में नहीं बहेगी तो और कहां..? लोगों ने रातोंरात प्रण ले लिया या...खुद गंदगी ने ही कह दिया कि ," अब तो मेरी पोस्टिंग कहीं और कराओ जी, मैं तो बोर हो गयी हूं...इस गंगा में बहते बहते.।" नहीं मैं फ़िर गलत समझा .....मतलब गंगा मे इतनी गंदगी जमा हो गयी है कि वो बहेगी ही नहीं...रुकी रहेगी। जब गंगा ही नहीं बहेगी तो गंदगी कैसे बहेगी......व्हाट एन आईडिया ....सर जी....

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खबर :- दूरंतो ट्रेन में भी सांसद ,विधायकों को यात्रा करने पर छूट...

नज़र :- मिलनी ही चाहिये, बेचारे ..गरीब, भूखे, नंगे । आखिर जनता के सेवक हैं । हमारा क्या है , हम तो जनता जनार्दन हैं। हमें छूट की दरकार नहीं। दुरंतो हो या टोरंटो, हर जगह हम पैसे खर्च करके जा सकते हैं । सेवक कहां कर पायेंगे इत्ता । इन्हें छूट दी जाये.।हुक्म की तामील हो...................
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खबर :- एयर होस्टेस से छेडछाड पर महिला आयोग सख्त

नज़र :- ऐसी घटिया हरकत पर भी सख्त न हो तो क्या करे......आखिर महिला आयोग है। अब देखना महिला आयोग दोषियों को पकड के कैसी सज़ा दिलवाता है ।उन्हें तो ऐसी सज़ा दिलवायेगा कि दूसरों के लिये सबक होगा ये। बलात्कारियों को तो महिला आयोग फ़ांसी पर चढा देता है...हां...। ...क्या कहा ऐसा कुछ नहीं है......मैं फ़िर से गलत समझ रहा हूं....तो....सख्त का मतलब ..उतना सख्त नहीं.....बस ये है कि महिला आयोग को इस तरह की हरकतें पसंद नहीं हैं......बस।
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खबर :- अदालत से राजनीति न करे यूपी सरकार

नज़र :- ये तो अन्याय है जी....सरासर अन्याय। कभी आप कहते हो इंजीनियरिंग को साइंस कहो सोशल (साइंस) नहीं । कभी कहते हो न पत्थर के हाथी बना सकते हो न बाबा साहब। और अब तो कह रहे हो राजनीति भी न करे सरकार। अबे क्या पागल समझा है...तो करे क्या...। समाज सेवा, दलित उत्थान, गरीबी उन्मूलन शिक्षा अभियान....जैसे आलतू-फ़ालतू के कामों से टाईम पास करे। बहन जी के राज में..ऐसा नहीं चलेगा...।
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खबर :- गंगा डौल्फ़िन बनी राष्ट्रीय जलीय प्राणी..

नज़र:- बन गयी न , चलो मुबारक हो जी ।अब न बनती तो कब बनती । कित्ती बच गयी हैं........थोडी सी । ओह तब तो ठीक किया ..वर्ना कहीं देर हो जाते तो.....? चलो अब हम प्रण लेते हैं कि इसका भी "उसी तरह " कल्याण-सम्मान करेंगे जैसा हम अपने अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों.....खेल, गान, ध्वज, नदी.....आदि का करते हैं । यहां .."उसी तरह" ..हमेशा ही ध्यान में रखें...सबसे महत्वपूर्ण तो यही है...
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बताईये ...अब कितना पढें....अब चाय पीकर आयेंगे न तब और भी पढेंगे .....कल जी ....

5 टिप्‍पणियां:

  1. एक हास्य कवि हुआ करते थे - सूँड़ फैजाबादी। वह खबरों की हेडलाइनों को इस तरह साथ समेटते थे कि अपने आप हास्य उत्पन्न हो जाता था। जैसे:
    "घाघरा खतरे के निशान से उपर
    बाजपेई बाल बाल बँचे।"
    इसमें थोड़ा अनर्गल सा संकेत है। बाजपेई जी अब सम्मानित वृद्ध हो चुके हैं सो उनसे क्षमा लेकिन बात समझाने को मुझे बस यही याद रहा...
    आगे आप खुद समझदार हैं।

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  2. झा बाबु ,
    नए ब्लॉग की बहुत बहुत बधाईयां और शुभकामनाएं|

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  3. कहते है हिंदी में दस हज़ार ब्लाग हैं और आपने एक और ब्लाग बना लिया, अच्छा किया -१०००१वां ब्लाग के लिए बधाई:)

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  4. बहुत मजा आया । चुटिले व्यंग । आभार

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हमने तो खबर ले ली ..अब आपने जो नज़र डाली है..उसकी भी तो खबर किजीये हमें...