खबर :- गले से नहीं उतर रहा, ओबामा को नोबेल......
नज़र : मतलब साफ़ है....आपका गला खराब हो गया है॥हो सकता है उसमें...मुर्गी या शूकर फ़्लू का प्रकोप हो गया हो....आपके लिये वही दैवीय बूटी ही काम आ सकती है॥विक्स की गोली लो...खिचखिच दूर करो.........और नहीं हो रही न तो भी खिटपिट मत करो यार...बताओ किसके गले नहीं उतर रही॥
॥अरे हमरे गले नहीं उतर रही है॥बोलो का करोगे , बताओ भला ....हम तो सोच रहा हूं कि ई नोबेल के नाती पोता पर केस कर दूं...अरे आज के डेट में इस पुरस्कार के लिये हमसे बेहतर दूसरा कौनो हो सकता है दूसरा...देखो हम इलेक्शन हार गये ...मंत्री बनने से भी रह गये...हमरा सबसे फ़ेवरेट मंत्रालय भी जानबूझ कर ..उनको दे दिया लोग.....आऊर तो आऊर ..हमको सब लात मार के निकाल दिया..फ़िर भी देखिये कितना शांत बैठे हैं...अब तो नितिश जी को भी नहीं गलियाते हैं..तो शांति का नोबेल -ग्लोबेल जो भी था ..हमरे नाम ही होना चाहिये था जी...
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खबर :-कोडा खा गये चार हज़ार करोड...
नज़र :- जे बात ...अब लगा न कि ई राज्य बिहार से निकला था...जब से झारखंड बना था ...एक दम नीरस और बकवास बन के रह गया था....बस कुछ नहीं तो..मुख्यमंत्री-मुख्यमंत्री खेल रहा था...कौनो एडवेंचर था ही नहीं...अब जब पता चला है कि ..मुख्यमंत्री कोडा....अरे पता किजीये तो..इनका नाम कहीं ..करोडा तो नहीं था....पूरे चार हज़ार करोड खा कर हज़म कर गये..मन बाग बाग हो गया...देखिये जी अब ई नहीं कहियेगा कि काहे..यदि मन बाग बाग हो रहा है तो अच्छे है न..ग्लोबल वार्मिंग कम होगा...और ईतना तो बढिया है न कि मान लिजीये कल को देश में मंदी जादे हो जाता है...तो लालू जी. कोडा जी, सत्यम जी ..और बस कुछ छोटा मोटा लोग को काट कर इनके पेट से इतना पैसा निकाला जा सकता है कि अपना तो अपना ..अमरीका का मंदी भी भाग जायेगा..
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खबर:-राष्ट्रमंडल के खेल प्रतिनिधियों की खूब हो रही है खातिरदारी....
नज़र :-..देखा हमारी खेल नीति कितनी स्पष्ट और पारदर्शी है..अपनी खेल परियों..खेल देवताओं, खिलाडियों...और खेल से जुडे तमाम लोगों का चाहे अपमान हो जाये..चाहे उन्हें खून के आंसू रोना पडे....चाहे खेल के कारण उनका पूरा भविष्य चौपट हो जाये...मगर इसका ये मतलब नहींम कि अधिकारियों को हम किसी तरह का कष्ट होने दें...खास कर जब वे विदेशी हों....ऊपर से इंस्पेक्शन पर आये हों..अजी उषा का क्या है....और फ़िर ये रोना धोना तो चलता ही रहता है...वैसे भी ये हमारी राष्ट्रीय खेल नीति का अहम हिस्सा है....देखिये आप लोगों कि दुआ से इस बार कितने पदक मिलते हैं....वैसे तैयारी तो पूरी की है हमने..अजी खेलने की नहीं....कमाने की...
हालांकि प्रतिनिधियों ने कहा है कि वे संतुष्ट नहीं हुए हैं...यदि उन्हें भी एक वकील मुहैया करा देती सरकार तो वे भी खुद को ..कसाब की तरह ..खास मेहमान बनने की अनुभूति पाते...बेचारे उन्हें कहां नसीब हो सकता है ..वो सुख...
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खबर :-दिवाली पर तोहफ़ा सस्ते होम लोन का ..
नज़र :- मैं तो तभी समझ गया था कि जो सरकार अभी तक .....टैण टैणेण की जगह ..सिर्फ़ जय हो जय हो ही गा रही है....यानि साफ़ है कि अपडेटेड नहीं है.....वो सरकार ऐसे ही ओल्ड फ़ैशन्ड निर्णय ही तो लेगी न......आप ही बताईये आज एक..... कैटल क्लास ...(कमाल का नया शब्द और पहचान दिलाई है थरूर साहब ने...मैं तो कहता हूं सिर्फ़ इन दो शब्दों के कमाल के उपयोग के लिये ही उन्हें साहित्य का नोबेल मिल जाना चाहिये था..मगर नोबेल वालों ने शांति का नोबेल भी पता नहीं कैसे तो.....खैर छोडिये इसे....) का सबसे बडा सपना क्या है...सिर्फ़ यही कि ..चाहे वो झुग्गी में रहता हो ..या फ़ुटपाथ पर सोता हो..चाहे वो ताज में खाये या ओबेराय में...काश कि दाल मिल जाये....और अब तो प्याज भी सेलिब्रिटी सी हो रही है....मुई चढती ही जा रही है....ऐसे में यदि लोगों को किसी चीज के लोन दिया जाना चाहिये तो वो है दाल...सिर्फ़ और सिर्फ़ दाल..आप खुद ही देखिये न कौन सी बिल्डिंग इन दालों की फ़ोटू के समान सुंदर होगी.......
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खबर :-पेशावर में बम धमाका ..
नज़र :- लो जिसका डर था वही हुआ...मैं न कहता था कि इन ससुरों को जादे पैसे मती दो सैम अंकल...क्योंकि ये तो खाली बम ही बनाते हैं पैसों से ..और कुछ तो करते नहीं...बना लिये होंगे क्विंटल के भाव से...अब इस बार दिवाली में ..हमारे यहां तो चीनी भाई अपनी फ़ैक्ट्री के बम पटाखे बेच रहे हैं..बेचारे किसी तरह अपने चाउमीन का जुगाड कर रहे हैं...सो पाकिस्तान वाले बमों की खपत तो यहां इस बार हो नहीं पायेगी .....इस बार उनका एक डेडिकेटेड बच्चा ..कसाब..अपने यहां मेहमान है न...तो ये तो होना ही था..बम हैं तो फ़ूटेंगे ही....काश कि ये कोई समझ पाता कि....बम ..देश, मजहब, जाति..नहीं पूछते ...फ़टने से पहले....न ही मौत पूछती है....
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आज के लिये इतना ही ..बकिया समाचार आप टीवी में भी तो देखिये न...
झा जी, हमें तो शिकायत है नार्वे में बैठे नोबेल की दुकान चलाने वालों से...हमारी मिशेल भाभी ने क्या बिगाड़ा था...एक नोबलवा उन्हें भी नहीं दे सकते थे बराक भईया के साथ...
जवाब देंहटाएंजय हिंद...
ड्बल एक्शन विक्स से भी खिच खिच नहीं हट रही..का करें..
जवाब देंहटाएंतब तो लिक्विड में कुछ काहे नहीं ट्राई करते ...आपके ग्रह पर नहीं मिलता है का....अब तो सुने हैं कि चांद पर भी पानी मिला है...आपके ग्रह पर तो .....हें..हें...हें....सब मिलता होगा
जवाब देंहटाएंपागल है, लेकचर हेरा फ़ेरी का हमारे लालू से लेते है ओर नोबेल.... किसी ओर को देते है जी, अगर हार गये तो माया टीचर क्या मर गई थी, उसे ही पकडा देते, कम से कम दलितो का नाम तो आ जाता समानए..राम राम केसा कलयुग आ गया.
जवाब देंहटाएंबाकी के समाचार भी खुब स्वाद लगे नींबू के आचार की तरह से
बहुत खूब..आज कल सरकार बड़ा ध्यान से रही है लोगो के आवासीय व्यवस्था उपलब्ध करने को..
जवाब देंहटाएंबढ़िया चर्चा खबरों की सारी खबरें बहुत बढ़िया है भाई...बहुत बहुत बधाई
बहुत बढिया रहा .. यह खबरों की खबर !!
जवाब देंहटाएंहम तो लिक्विड ट्राई करके ही टिप्पणी देने आ गए :-)
जवाब देंहटाएंटीवी नहीं देखता ना! सो, इस बार खबरों की संख्या कम लग रही :-(
आपकी शैली का भी ज़वाब नहीं
बी एस पाबला
ब्लॉगिंग का नोबेल हम आपको दिए जाने की सिफारिश करते हैं वरना आप सभी खबरों की अपनी पोस्टों में खाल उधेड़ देंगे।
जवाब देंहटाएंब्लॉगिंग का नोबल पुरस्कार अगले बरस से आरंभ किया जाना प्रस्तावित है वो भी सिर्फ हिन्दी ब्लॉगरों के लिए।
अंग्रेजी वाले चिल्लाएंगे, भेद भाव का आरोप लगायेंगे, खूब शोर मचायेंगे, लेकिन एक दिन तो हिन्दी वाले भी नोबेल पुरस्कार की मलाई खायेंगे।
जवाब देंहटाएंअबकी नोबलवा का स्पॉँसर विक्सै वाला न कीया है,
तऽ अपना प्रोडेक्ट याद करवाने का वास्ते, छोट मोट फेवर त लेबे करेगा !
इधर 10 दिसम्बर को पुरस्कार बँटायेगा, उधर दर्शक दीर्घा में मोफ़त का विक्स बँटायेगा ।
पुरा सूविधा मीलेगा कि गोलिया चुसिये आ बिक्स का बैनर से नाक पोंछीये ।