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शनिवार, 10 अक्टूबर 2009

गले से नहीं उतर रहा ,ओबामा को नोबेल,...अजी गला खराब है आपका, विक्स की गोली लो और खिचखिच ....


खबर :- गले से नहीं उतर रहा, ओबामा को नोबेल......

नज़र : मतलब साफ़ है....आपका गला खराब हो गया है॥हो सकता है उसमें...मुर्गी या शूकर फ़्लू का प्रकोप हो गया हो....आपके लिये वही दैवीय बूटी ही काम सकती है॥विक्स की गोली लो...खिचखिच दूर करो.........और नहीं हो रही तो भी खिटपिट मत करो यार...बताओ किसके गले नहीं उतर रही॥

॥अरे हमरे गले नहीं उतर रही है॥बोलो का करोगे , बताओ भला ....हम तो सोच रहा हूं कि ई नोबेल के नाती पोता पर केस कर दूं...अरे आज के डेट में इस पुरस्कार के लिये हमसे बेहतर दूसरा कौनो हो सकता है दूसरा...देखो हम इलेक्शन हार गये ...मंत्री बनने से भी रह गये...हमरा सबसे फ़ेवरेट मंत्रालय भी जानबूझ कर ..उनको दे दिया लोग.....आऊर तो आऊर ..हमको सब लात मार के निकाल दिया..फ़िर भी देखिये कितना शांत बैठे हैं...अब तो नितिश जी को भी नहीं गलियाते हैं..तो शांति का नोबेल -ग्लोबेल जो भी था ..हमरे नाम ही होना चाहिये था जी...


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खबर :-कोडा खा गये चार हज़ार करोड...

नज़र :- जे बात ...अब लगा न कि ई राज्य बिहार से निकला था...जब से झारखंड बना था ...एक दम नीरस और बकवास बन के रह गया था....बस कुछ नहीं तो..मुख्यमंत्री-मुख्यमंत्री खेल रहा था...कौनो एडवेंचर था ही नहीं...अब जब पता चला है कि ..मुख्यमंत्री कोडा....अरे पता किजीये तो..इनका नाम कहीं ..करोडा तो नहीं था....पूरे चार हज़ार करोड खा कर हज़म कर गये..मन बाग बाग हो गया...देखिये जी अब ई नहीं कहियेगा कि काहे..यदि मन बाग बाग हो रहा है तो अच्छे है न..ग्लोबल वार्मिंग कम होगा...और ईतना तो बढिया है न कि मान लिजीये कल को देश में मंदी जादे हो जाता है...तो लालू जी. कोडा जी, सत्यम जी ..और बस कुछ छोटा मोटा लोग को काट कर इनके पेट से इतना पैसा निकाला जा सकता है कि अपना तो अपना ..अमरीका का मंदी भी भाग जायेगा..

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खबर:-राष्ट्रमंडल के खेल प्रतिनिधियों की खूब हो रही है खातिरदारी....

नज़र :-..देखा हमारी खेल नीति कितनी स्पष्ट और पारदर्शी है..अपनी खेल परियों..खेल देवताओं, खिलाडियों...और खेल से जुडे तमाम लोगों का चाहे अपमान हो जाये..चाहे उन्हें खून के आंसू रोना पडे....चाहे खेल के कारण उनका पूरा भविष्य चौपट हो जाये...मगर इसका ये मतलब नहींम कि अधिकारियों को हम किसी तरह का कष्ट होने दें...खास कर जब वे विदेशी हों....ऊपर से इंस्पेक्शन पर आये हों..अजी उषा का क्या है....और फ़िर ये रोना धोना तो चलता ही रहता है...वैसे भी ये हमारी राष्ट्रीय खेल नीति का अहम हिस्सा है....देखिये आप लोगों कि दुआ से इस बार कितने पदक मिलते हैं....वैसे तैयारी तो पूरी की है हमने..अजी खेलने की नहीं....कमाने की...
हालांकि प्रतिनिधियों ने कहा है कि वे संतुष्ट नहीं हुए हैं...यदि उन्हें भी एक वकील मुहैया करा देती सरकार तो वे भी खुद को ..कसाब की तरह ..खास मेहमान बनने की अनुभूति पाते...बेचारे उन्हें कहां नसीब हो सकता है ..वो सुख...
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खबर :-दिवाली पर तोहफ़ा सस्ते होम लोन का ..

नज़र :- मैं तो तभी समझ गया था कि जो सरकार अभी तक .....टैण टैणेण की जगह ..सिर्फ़ जय हो जय हो ही गा रही है....यानि साफ़ है कि अपडेटेड नहीं है.....वो सरकार ऐसे ही ओल्ड फ़ैशन्ड निर्णय ही तो लेगी न......आप ही बताईये आज एक..... कैटल क्लास ...(कमाल का नया शब्द और पहचान दिलाई है थरूर साहब ने...मैं तो कहता हूं सिर्फ़ इन दो शब्दों के कमाल के उपयोग के लिये ही उन्हें साहित्य का नोबेल मिल जाना चाहिये था..मगर नोबेल वालों ने शांति का नोबेल भी पता नहीं कैसे तो.....खैर छोडिये इसे....) का सबसे बडा सपना क्या है...सिर्फ़ यही कि ..चाहे वो झुग्गी में रहता हो ..या फ़ुटपाथ पर सोता हो..चाहे वो ताज में खाये या ओबेराय में...काश कि दाल मिल जाये....और अब तो प्याज भी सेलिब्रिटी सी हो रही है....मुई चढती ही जा रही है....ऐसे में यदि लोगों को किसी चीज के लोन दिया जाना चाहिये तो वो है दाल...सिर्फ़ और सिर्फ़ दाल..आप खुद ही देखिये न कौन सी बिल्डिंग इन दालों की फ़ोटू के समान सुंदर होगी.......

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खबर :-पेशावर में बम धमाका ..

नज़र :- लो जिसका डर था वही हुआ...मैं न कहता था कि इन ससुरों को जादे पैसे मती दो सैम अंकल...क्योंकि ये तो खाली बम ही बनाते हैं पैसों से ..और कुछ तो करते नहीं...बना लिये होंगे क्विंटल के भाव से...अब इस बार दिवाली में ..हमारे यहां तो चीनी भाई अपनी फ़ैक्ट्री के बम पटाखे बेच रहे हैं..बेचारे किसी तरह अपने चाउमीन का जुगाड कर रहे हैं...सो पाकिस्तान वाले बमों की खपत तो यहां इस बार हो नहीं पायेगी .....इस बार उनका एक डेडिकेटेड बच्चा ..कसाब..अपने यहां मेहमान है न...तो ये तो होना ही था..बम हैं तो फ़ूटेंगे ही....काश कि ये कोई समझ पाता कि....बम ..देश, मजहब, जाति..नहीं पूछते ...फ़टने से पहले....न ही मौत पूछती है....

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आज के लिये इतना ही ..बकिया समाचार आप टीवी में भी तो देखिये न...

गुरुवार, 8 अक्टूबर 2009

बाढ राहत के लिये पैसों की कमी नहीं....बस घोटालेबाज नहीं मिल रहे...

खबर :-अपमान से व्यथित हो रो पडी उडन परी..

नज़र :- गलत हुआ जी बिल्कुल गलत ....अरे अपमान नहीं जी...वो तो देर सवेर होना ही था...जितनी जल्दी हो गया उतना अच्छा......आगे के लिये टेंशन खत्म ....और फ़िर ये तो और भी अच्छा हुआ कि उनके जीते जी उनको ये सम्मान हासिल हो गया..अन्यथा ध्यानचंद जी जिनके जन्मदिवस पर सरकार खेल दिवस तक मनाती है ..उन्हें तो मरने के बाद ही ये हासिल हो पाया.....और अब प्रति वर्ष सिर्फ़ एक दिन उनके साथ ऐसा किया जाता है...गलत तो ये हुआ कि ..उडन परी रो पडी...बताईये भला इसमें रोने की क्या बात थी.....अब अगले साल हो रहा है राष्ट्र मंडल खेल हो रहे हैं न.....तब तक कुछ और उडन परियां, कुछ और खेल योद्धा तैयार करती जो देश के लिये पदक वदक जीतते ...और फ़िर थोडे सालों बाद ऐसे ही किसी जगह ....सम्मान करा रहे होते......वैसे सुना है कि इससे देश के खिलाडियों को बहुत प्रेरणा मिली है......।


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खबर :-बाढ राहत के लिये पैसों की कमी नहीं..

नज़र : - लो तो हमने कब कहा कि हमारे यहां पैसों की कोई कमी है .....अब तो ये जग जाहिर हो गया है जी...जो देश सौ रुपये किलो दाल खरीद कर खा सकता है....चालीस रुपये किलो दाल..अजी छोडिये सारा राशन का नाम लें का...मतलब ये कि जो इतना साहस कर सकता है...ऊ भी इतना मंदी के दौर में...ऊ देश में पैसे की का कमी रहेगी का......सरकार के कहने का मतलब है कि पैसे तो खूब हैं जी राहत के लिये बांटने को...मुदा ई बाढ ही टाईम पर धडाधड नहीं आती है न...सारा पैसा वेस्ट होता रहता है....का कह रहे हैं ई मतलब नहीं था.....ओह तो ई बात है...दरअसल पैसा तो भरपूर है .मगर घोटालेबाज मंत्री अधिकारी लोग ..मतलब टैलेंटेड लोग मिल नहीं रहे हैं...अरे नहीं जो हैं न उनका सबका रिकार्ड तो पहले से ही मौजूद है...अब तो नये फ़ेस की तलाश

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खबर :- राजधानी में महिलायें असुरक्षित...

नज़र :- अबे इसमें खबर कौन सी है बे.....महिलायें असुरक्षित हैं ये....यार राजधनी में असुरक्षित हैं ये.....या फ़िर ये कि असुरक्षित हैं ये.....सब बकवास बात है जी...ई कहिये कि दे़श , समाज और परिवार तक में महिलायें असुरक्षित हैं............आज कोई भी ऐसी जगह नहीं है ...जहां के लिये ये कहा जा सके कि महिलायें सुरक्षित हैं...अब सुन लो तनिक राजधानी की...तो ई बात तो उसी दिन प्रमाणित हो गयी थी..जिस दिन देश की प्रथम महिला आई पी एस ..किरन बेदी को तमाम षडयंत्र रच कर दिल्ली पुलिस का कमिश्नर बनने से रोक दिया गया....और बिल्कुल नागवार गुजरने वाले तरीके से उन्हें नौकरी से अवकाश पर जाने को मजबूर कर दिया गया......खाक समाचार है ये..

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खबर :- हसीना को पासपोर्ट न देने की वकालत ......

नज़र :- अरे ई का हो गया है भई पासपोर्ट विभाग को ...जरूर ई सब महंगाई का असर है ..बेचारे लोगन को दाल खाने को नहीं मिलता होगा तो ईहे अनाप-शनाप निर्णय लेंगे न.....हसीना को पासपोर्ट नहीं देंगे ...तो देंगे किसको जी....और किसने इजाजत दी उनको ऐसी वकालत करने की....हम अभी जी से शिकायत करते हैं....का कह रहे हैं.....बात हो रही है अंडरवर्ल्ड डौन दाऊद इब्राहिम कासकर की बहन हसीना पारकर का....अरे बाप रे ...ई तो कातिल हसीना निकली जी...इनका तो पासपोर्ट नहीं...राशन कार्ड भी नहीं मिलना चाहिये....एकदम ठीक वकालत की है जिसने भी की है....अब हर कोई..कसाब मियां के वकील साहब की तरह का वकालत तो नहीं कर सकता न...


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खबर::- युक्ता मुखी चली सलमान,शाहरुख की राह ..

नज़र :- अरे यानि युक्ता भी अब बौडी शौडी बनायेंगे...सिक्स पैक....वाह कमाल का आईडिया है जी.....क्या कहा ..उनका ये मतलब नहीं था...दरअसल उनका कहना है कि वे भी टीवी शोज होस्ट करेंगी ...अरे धत तेरे की ..या क्या....तो ये कहिये न कि आप राखी सावंत से टक्कर लेना चाहती हैं...लिजीये तो क्या गलत कहा मैंने..टीवी पर भी तो वही होस्ट चमक रहे हैं न जो पहले से ही चमके हुए हैं..नहीं तो आप ही बताओ न.....अपने राहुल राय, और दीपक तिजोरी भी न करे रहे होते होस्ट...चलिये आप तो किसी भी राह चलिये जी...का फ़र्क पडता है।

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तो ठीक है न आज एतने समाचार है खास खास...