मीडिया ....खासकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर अब इतनी बार उंगली उठाई जा चुकी है और इतनी बार उन्हें लताड पड चुकी है कि लोग अब उन्हें सिर्फ़ तमाशबीन ही मानते हैं । कहा जाता है कि मीडिया का अपना दिमाग नहीं है सिर्फ़ बाज़ार है बाज़ार , सब कुछ खरीदा बेचा जा रहा है । आम आदमी की धारणा इस मीडिया के बारे में कैसी है ये कोई पूछने कहने की बात नहीं है लेकिन इस जनांदोलन में मीडिया ने कमर कस कर जो मोर्चा संभाला है उसने ऐसा जादू किया कि जो लडाई जंतर मंतर बैठ कर अनशन शुरू किए कुछ लोगों ने आरंभ की थी उसे देखते देखते ही देश और यहां तक कि विदेश में रह रहे भारतीयों तक पहुंचा दिया । आज वहां मौजूद एक एक मीडियाकर्मी ..दिन रात ,,,बिना धूप छाया की चिंता किए हुए ..वे लगातार एक एक व्यक्ति का आक्रोश , उसका संदेश , उसकी प्रतिक्रिया ..सब कुछ कवर कर रहे हैं ...इसके लिए वे नि:संदेह बधाई के हकदार हैं । मैंने बहुत सारे मीडिया मित्रों , कैमरामैनों , और अन्य लोगों से बात की तो उन्होंने भी नि:संकोच माना कि इस बार की कवरेज और दूसरी कवरेज में बहुत फ़र्क है ...
तो इस बार मीडिया को ..और मीडिया से जुडे ऐसे तमाम सिपाहियों को हमारा सलाम .....
सब को मीडिया कवर करता है, आपने मीडिया कवर किया।
जवाब देंहटाएंजनता के मन में मीडिया के प्रति अब वह श्रद्धा नहीं रह गयी ...किन्तु उसे अपनी छवि सुधारने का अवसर मिला है .......इस पर इमानदार कवरेज के लिए निश्चित ही मीडिया प्रशंसा की पात्र होगी. झा जी ! दूर-दराज़ के लोगों को आप रोज़ ही जीवंत चित्रों के माध्यम से अन्ना जी के पास पहुंचाने में सफल हो रहे हैं .......इस यज्ञ में आपका योगदान अनुकरणीय है. मैं मानता हूँ कि यदि लोग अन्ना जी को अपना समर्थन देना चाहते हैं तो उन्हें अपने वैयक्तिक जीवन में भी क्रान्ति लानी होगी.
जवाब देंहटाएंएक प्रेरक पोस्ट देने के लिए शुक्रिया .
जवाब देंहटाएंhttp://blogkikhabren.blogspot.com/
अगर यह मिडिया आज नही जागा तो इस मिडिया का दुर्भाग्या ही होगा, जिस अन्ना हजरे के लिये आज देश के ९०% लोग ऊठ खडे हुये हे, वो क्या इस मिडिया को छोड देगा, ओर मिडिया भी वक्त की चाल पहचानता हे कि आज मिडिया चाहे इन नेताओ की चाप्लुसी कर ले कल का सुरज इन नेताओ के लिये अंधकार ले कर ही आयेगा, इस लिये इस मिडिया को जागना ही होगा
जवाब देंहटाएंअजय भाई,
जवाब देंहटाएंअन्ना के लिए ये आंदोलन है, आम आदमी के लिए जीने-मरने का सवाल और खाए-अघायों के लिए बौद्धिक जुगाली का उत्सव...वजह चाहे कोई भी रही हो मीडिया के इस पीपली लाइव से जनता का भला हुआ...मीडिया आइकन्स गढ़ता है, फिर उसे भगवान बनाता है...लेकिन देश के लिए व्यक्ति से बड़ा मुद्दा है...जिस दिन मुद्दे की जड़ पर लोहार के हथौड़े की तरह चोट होनी शुरू हो जाएगी, देश खुद-ब-खुद सही दिशा में बढ़ना शुरू कर देगा...
जय हिंद...
असली जीत तो अभी बाकि है |
जवाब देंहटाएंजबतक सारे भ्रस्ट लोग हवालात में न चले जाएँ तबतक ये मुहीम जारी रहनी चाहिए |
आगे आगे देखिये होता है क्या ?
यहाँ भी आयें|
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वे नि:संदेह बधाई के हकदार हैं- इसमें कोई शक नहीं.
जवाब देंहटाएंजबरदस्त है आपकी कवरेज भी.
जवाब देंहटाएंवाकई जबरजस्त कवरेज था ... इस मसले पर कई ब्लागर भाई भी जमीनी स्तर पर सक्रिय थे ...
जवाब देंहटाएंआखिरकार जनाक्रोश के सामने सरकार को झुकना पड़ा है ... बेहतरीन कवरेज के लिए आप बधाई के पात्र हैं ...
जवाब देंहटाएंकुछ अच्छे काम तो हर कोई करता है भाई।
जवाब देंहटाएं---------
प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
कुछ अच्छे काम तो हर कोई करता है भाई।
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प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
कुछ अच्छे काम तो हर कोई करता है भाई।
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प्रेम रस की तलाश में...।
….कौन ज्यादा खतरनाक है ?
भ्रष्टाचारियों के मुंह पर तमाचा, जन लोकपाल बिल पास हुआ हमारा.
जवाब देंहटाएंबजा दिया क्रांति बिगुल, दे दी अपनी आहुति अब देश और श्री अन्ना हजारे की जीत पर योगदान करें आज बगैर ध्रूमपान और शराब का सेवन करें ही हर घर में खुशियाँ मनाये, अपने-अपने घर में तेल,घी का दीपक जलाकर या एक मोमबती जलाकर जीत का जश्न मनाये. जो भी व्यक्ति समर्थ हो वो कम से कम 11 व्यक्तिओं को भोजन करवाएं या कुछ व्यक्ति एकत्रित होकर देश की जीत में योगदान करने के उद्देश्य से प्रसाद रूपी अन्न का वितरण करें.
महत्वपूर्ण सूचना:-अब भी समाजसेवी श्री अन्ना हजारे का समर्थन करने हेतु 022-61550789 पर स्वंय भी मिस्ड कॉल करें और अपने दोस्तों को भी करने के लिए कहे. पत्रकार-रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा" सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना हैं ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.
अभी-अभी समाचार पढ़कर बहुत आघात हुआ और दुःख पहुंचा. शकुन्तला प्रेस ऑफ़ इंडिया प्रकाशन परिवार अजय कुमार झा जी के पिताश्री को श्रद्धाँजलि अर्पित करते हुए परमपिता परमात्मा से दिवंगत की आत्मा को शांति और शोक संतप्त परिजनों को यह आघात सहन करने की शक्ति देने की प्रार्थना करता है.दुःख की इस घडी में हम सब अजय कुमार झा जी के साथ है.
जवाब देंहटाएंमीडिया की भूमिका शायद पहली बार इतने बड़े परिवर्तन का आधार बनने जा रही है।
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