शनिवार, 23 जून 2012

ये दौड है राष्ट्रपति चुनाव के लिए , या वडा पाव के लिए ....









राष्ट्रपति भवन की ओर हर कोई लगा रहा ऐसी दौड ,
अबे महामहिम बनना चाह रहे हो कि राउडी राठौड






तीन नए नामांकन और दाखिल हुए हैं , राष्ट्रपति चुनाव के लिए ,
हा हा हा अबे , ये प्रेसिंडेट के लिए ही दौड है न , या है वडा पाव के लिए ..
(लग नय रहा है बेट्टा ..लछ्न्न से तो हमको )


ममता को मनाने प्रणब दा कोलकाता जाएंगे ,
उडी बाबा , फ़ीर कोई कोथा से नया गंडोगोल खिलाएंगे ,
(इत्ता कंपटीसन ..हाय अब तो सट्टेबाज इस पर भी सट्टा लगाएंगे :)


जदयू सांसद निषाद ने राष्ट्रपति चुनाव लडने की इच्छा जताई ,
हायं , अबे ई बात है तो फ़िर कोई हमको भी पूछिए लो भाई ..
(मामता दीदी एकदम्म भीरोध नोही कोरेगी ..ई गारंटी हाय रे बाबा , ऊ हामको चीन्हती नोही है भेरी शियोर )


पीएम: राजकोषीय घाटे पर लगाम के लिए कठोर कदम उठाएगी सरकार ,
कोंची का घाटा हो , ई टोटल पईसा तो लूट लिया है जी आपही का दरबार,
(कदम उठाइएगा आप , लंगडदीन कहीं के , फ़ुरा रहा है जादे का हो )



पाकिस्तान की कोर्ट ने गिलानी को अयोग्य दिया करार ,
अरिस्स साला ,दुन्नो कंट्री का पिरधान नकलीए है यार
(एकदम डिरामा है जी डिरामा है)


मोदी प्रधानमंत्री के रूप में नीतिश को नहीं है मंज़ूर ,
ल्यो और सुनो , ऊ देश का बनेंगे , आपके घर का नहीं हुज़ूर
(अबे पहिले प्रेसीडेंट हो जाने दो फ़ाइनल रे , फ़िर पिरधान पिरधान खेलना बे )


आसाराम बापू के बेटे को भी राष्ट्रपति पद का बनाया गया है उम्मीदवार ,
बस बहुत हो गया , चलिए अब हम भी चलें , बताइए कौन कौन है तैयार
(अबे जब सारा लफ़डा है बेकार , तो हम भी काहे पीछे रहें यार ..बोल सियापति रामचंद्र की जय :)


देखिए जी देख के इतना डिरामा साला , इहे लिया गया है डिसीज़न ,
राष्ट्रपति चुनाव का फ़ार्म निकलेगा अब भाया स्टाफ़ सलेक्शन कमीशन
(टोटल बहाली प्रक्रिया का सचित्र समाचार आपको नयका रोजगार समाचार में पन्ना लंबर उन्नीस सौ बहत्तर पर पढने को मिलेगा ..साथ में साढे बारह आना का पोस्टल आर्डर ( मनी आर्डन नय चलेगा जी ) भी नत्थी करना पडेगा ..भीश जू भेस्ट आफ़ लक्क )


मुख्यमंत्री:मीडिया दिल्ली में पानी की कमी को बढा चढा कर दिखा रहा है,
हां हां जी बिल्कुल , वर्ना तो हर घर में आपका मामा पानी पिला रहा है
(अबे ई कहिए कि मीडिया घंटा दिखा रहा है , बस कैमरा डोला रहा है )




सीवीसी ने भ्रष्टाचार में लिप्त 74 अफ़सरों पर लगाया जुर्माना ,
अच्छा , ई चोट्टा सबसे पैसा कितना वसूले बाद में ई भी बताना ,
(नय तो बंद करो ई गाना , पहिले भी देख चुका है जमाना ...जुर्माना हुंह्ह्ह । अब टोटल पैसा जब्त करके जनता को वापस करो बे वापस , खून पसीने का कमाई है समझे कि नहीं बे )



सवा करोड टन अनाज फ़िर से है बर्बादी के कगार पर ,
सवा अरब की जनसंख्या में अब भी बहुत रहे हैं भूख से मर
(थू है साला थू है इस सरकार और प्रशासन पर , एक एक मौत के लिए इन सबके जिम्मेदार लोगों को सूली पर टांग देना चाहिए , इससे कम की कोई सज़ा नहीं , कोई रियायत नहीं , कोई अदालत नहीं , कोई वकालत नहीं )




19 सडकों पर 44 करोड रुपए खर करेगा दिल्ली नगर निगम ,
कुछ सडक के गड्ढों में और कुछ जेबों में , टोटल माल हज़म ..
(बाद में फ़ुटफ़ाट पे भोपूं में गाना बजेगा ..हो रहा भारत निरमान , सो रहा है हर इंसान , लोकतंत्र की ये पहचान ..रे हो रहा भारत निरमान )




संगमा ने पार्टी ही छोडी , लेकिन राष्ट्रपति चुनाव का मैदान नहीं छोडा ,
वाह , इस रेस का अबकि बार मज़ा उठा रहा है हर कोई , गधा हो या घोडा


तृणमूल के असंतुष्ट सांसद ने किया प्रणब का समर्थन ,
बाकी काम देश का छोड के , सालो बस करो यही घमरथन
(घमरथन बूझ गए न जी ..हां इहे जो टोटल नेशनल नाटकबाजी चल रहा है)




राष्ट्रपति चुनाव पर विपक्ष बिखरा , राजग बंट गया दो फ़ाड में ,
अबे पब्लिक से पूछ के देखो ज़रा , कहेगी , सब जाओ सालों भाड में ,
(राष्ट्रपति चुनाव को भी ..गोलगप्पे की दुकान बना दिहिस है सरबा सब ..रोजिन्ना नया मसल्ला भरता है इसमें )


सब कुछ ज़ायज़ बा हो , परेम आ जंग मा ,
जोर लगा के दौडत बा , जभिए पी ए संगमा
(जोर लगा के हईशा ..जोड लगा के हईशा ..पकडे रहना छोडना मत ..पकडे रहना छोडना मत)


दूसरे देशों के जाबाज़ सेनानी , अपने अपने देश की सीमा रहे संभाल ,
हाय रे अपने देश के हालात , सैनिक , गड्ढों से बच्चे रहे निकाल ,
(गज्जबे है ई हाल , साला रोज़ का यही बवाल )


सुनो जी भाई लोगों , कंडीसन क्रिटिकल आ समस्या बहुत घनघोर है ,
कानून के आंखों पे बंधी है पट्टी , और सियासत खुदही बडी चोर है ..
(बस हर तरफ़ इक शोर है ,ये दिल मांगे मोर है ...मोर है जी मोर है)


देश के गड्ढे ,मुसीबत हो गए हैं ससुरे ,बच्चों की जान को आफ़त में हैं डाले
अबे जरा उन्हें भी पकड के लाओ , ई ससुरे कौन हैं साले , गड्ढे खोदने वाले
(बचिया को बाहर निकाल दो , फ़िर इन गड्ढों में दोषियों को डाल दो ...आ ऊपर से बुलडोज़र फ़िरा दो ...इहे इलाज़ है परमामेंट इनका)


सुनो बे घोटालेबाजों , कुछ नहीं होगा फ़ाइलों के जलने जलाने से ,
तुम्हारी करतूतें और तिज़ोरियां , क्या छुपी हैं भला इस ज़माने से ,
(साला पहिले ही कौन हो रही थी सज़ा तुम्हें इन फ़ाइलों को बचाने से ...काश कि तुम जर जाते इसी आग में , फ़ुंक के मर जाते इसी आग में ..मारिए इस अगलगी का कोनो फ़ायदा नय हुआ जनहित में )


हे हो भगबान जी , बाई गॉड की कसम ,आपो गज्जबे जुलुम करते हैं ,
बम फ़टे ,बज्र गिरे, रेल भिडे ,आग लगे ई पोलटिशयन काहे नय मरते हैं
(उनका उद्धर कैसे होगा प्रभु , कोनो बान कोनो चक्र मारिए न फ़ेंक के होईजे से हो)


दु ठो टेनिस के खिलाडी टनाटन , दुन्नो में फ़िर से गई है ठन ,
ओलंपिक पदक मिले न मिले , मुदा दुई ठो टीम अब जाएंगी लंदन ,
(अबे काहे कर लिए अनबन , मिल के खेलते न दनदन ..दुर बोकवा सब कहीं का)


धत साला का फ़ायदा हुआ, मंत्रालय में इत्ती बडी ,लगी भी ,जो आग ,
टोटल ससुरा सब ससर गया लपेटे में आया नहीं एको ठो राजनीति का नाग
(भाग भाग भाग डी के बोस ..भाग भाग भाग ..लगी रे आग आग आग)


मुंबई के मंत्रालय में लगी आग , कई घोटालों के फ़ाइलें जलने की आशंका,
आयं , अच्छा ई कईसे , चिंगारी उठी कहां से , अबे कौन जलाइस ई लंका
(जांच आयोग बिठा के फ़ौरन ही पचीस पचास साल में रिपोर्ट दाखिल करो बे)


बहरी हुई सियासत कबकी ,तो भईया , बोल तू ,ज़ोर लगा के बोल ,
बिंदास , बेबाक , बेधडक , चौपहरा , बस खोलता जा ,सबकी पोल ,
(जब तक फ़टे न इनका ढोल , और हो न बिस्तर गोल .....दे दनादन गोल दनादन दे दनादन गोल )


संगमा जी ने प्रणब दादा को दी ,खुली बहस की चुनौती ,
सब करें बहस जो महामहिम की पोस्ट को समझ रहे बपौती ..


सिंगुर में भूमि वापसी पर टाटा जीत गए, ममता मुकदमा हारी,
हाय दादा से रूठ के भागी थीं दीदी , इहां भी कित्ती हुई बेचारी ..
(कुछ समझो दीदी प्यारी , कित्ती करती हो मारामारी )


जेल काट कर लौटे सलमान बट्ट का पाकिस्तान में स्वागत हुआ ज़ोरदार ,
ल्यो तो काहे न हो भाई , आखिर उनका क्रिकेटर इत्ता टैलेंटेड निकला यार,
(चढाओ फ़ूलों के हार , आ माला भी करो तैयार )

4 टिप्‍पणियां:

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  2. भारत का आम नागरिक अपने देश का राष्‍ट्रपति क्‍यों नहीं बन सकता और बनने की कौन कहे, जब उम्‍मीदवार बनने की धूमिल सी संभावना भी नजर आती नहीं दिखती है। राष्‍ट्रपति बनने के लिए मेरी दीवानगी का आलम यह है कि इस गरिमामयी पद को पाने के लिए मैं अपनी धर्मपत्‍नी को भी बेहिचक छोड़ सकता हूं जिससे मैं किसी का भी पति न साबित किया जा सकूं। अपन नाम के अंत में से ‘वाचस्‍पति’ मिटाकर ‘अन्‍नाबाबा’ लिखने का निर्णलय लेकर उसे अमल में ला सकता हूं। फिर भी देश के लालची और मतलबी गठबंधनों के चलते मुझे अपने अरमान फलीभूत होते नहीं दीख रहे हैं। आप सोचिए, जिस देश का एक आम नागरिक अपने देश का राष्‍ट्रपति तक बनने की योग्‍यता न रखता हो, उसकी कितनी लानत-मलामत होनी चाहिए। यह वही भारत है जहां के नेता इतने डरपोक हैं कि घोटाले, घपले करते हुए बिल्‍कुल नहीं डरते हैं लेकिन उससे मिले काले धन को रखने के लिए विदेश में स्विटजरलैंड और अन्‍य विदेशी बैंकों में खातों और लॉकरों में धन के अंबार लगा लगाकर भूल जाते हैं। क्‍या किसी समय ‘सोने की चिडि़या’ कहलाने वाले इस देश के लिए यह बेहद शर्म की बात नहीं है कि इस देश का आम नागरिक ‘आम’ खाने का अपना सपना भी पूरा नहीं कर पाता है और आम की तनिक सी मिठास के लिए तरसता रहता है। प्रतियोगिताओं से भी प्रतिभाएं निखर और निकल कर सबके सामने आती हैं और चमत्‍कृत करती हैं।
    मेरे शरीर में वे सभी योग्‍यताएं हैं जो एक राष्‍ट्रपति में होनी चाहिए और .... पूरी पोस्‍ट के लिए http://avinashvachaspatinetwork.blogspot.in/2012/06/21-2012.html कापी करके पढ़ लीजिए। यह राष्‍ट्रपति से संबंधित पोस्‍ट है।

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    1. काहे पत्नी छोड़ रहे हो भैया? पत्नी का नाम बदल के राष्ट्र काहे नहीं रख लेते?

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